छपरा (सदर) : अब शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक जमीन की रजिस्ट्री मुश्किल हो जायेगी. आगामी दो अक्तूबर से भूमि बेचने का काम वही व्यक्ति कर सकता है, जिसके नाम से जमाबंदी कायम है. यदि भूमि बेचने वाले के नाम से जमाबंदी कायम रहने की संपुष्टि नहीं होती है, तो दस्तावेज का निबंधन नहीं होगा. इस संबंध में मद्य निषेध एवं उत्पाद निबंधन विभाग बिहार ने अपना पत्र 20 सितंबर को जारी कर दिया है.
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बिना जमाबंदी कायम हुए जमीन बेचना मुश्किल
छपरा (सदर) : अब शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक जमीन की रजिस्ट्री मुश्किल हो जायेगी. आगामी दो अक्तूबर से भूमि बेचने का काम वही व्यक्ति कर सकता है, जिसके नाम से जमाबंदी कायम है. यदि भूमि बेचने वाले के नाम से जमाबंदी कायम रहने की संपुष्टि नहीं होती है, तो दस्तावेज का निबंधन नहीं […]
विभाग के पत्र के अनुसार टोकन प्रवृष्टि के समय राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा कराये गये राजस्व ग्राम, हल्का एवं अंचल की प्रविष्टि अनिवार्य रूप से करने के साथ-साथ जमाबंदी की पुष्टि होने के उपरांत जमाबंदी जिल्द संख्या एवं जमाबंदी पृष्ठ संख्या की भी जरूरत है.
इसके अलावा स्कोर सॉफ्टवेयर के प्रोपर्टी पेज में एलआर प्रोपर्टी डिटेल ब्लॉक में भूमि से संबंधित प्रविष्टि की जायेगी. जिला अवर निबंधक संजय कुमार के अनुसार सरकार के पत्र के आलोक में आगामी दो अक्तूबर से दस्तावेज के निबंधन के लिए अंतरणकर्ता के नाम से जमाबंदी कायम रहना आवश्यक कर दिया गया है.
यदि अंतरणकर्ता के नाम से जमाबंदी कायम रहने की संपुष्टि नहीं होती है, तो दस्तावेज का निबंधन नहीं होगा. मालूम हो कि सरकार के इस आदेश के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन के निबंधन से लेकर शहरी क्षेत्र की वैसी जमीन, जो असर्वेक्षित है, उनकी रजिस्ट्री के दौरान जमीन बेचने वाले तथा खरीदने वाले को परेशानी होगी.
हालांकि पूर्व से ही छपरा नगर निगम क्षेत्र की जमीन टोपोलैंड क्षेत्र में आने तथा असर्वेक्षित होने के कारण निबंधन विभाग ने खरीद-बिक्री पर रोक लगायी है. इसका मुकदमा भी पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई के अंतिम दौर में है.
परंतु, सरकार के नये निबंधन नियम के अनुसार अंतरणकर्ता के नाम से आखिर शहरी क्षेत्र में निबंधन कैसे होगा जहां अधिकतर जमीन का खाता-खेसरा नंबर तक नहीं है. उधर, सरकार के द्वारा ऑनलाइन दाखिल-खारिज के बाद अंचलों में ऑन लाइनरसीद भी मिल रही है. इसमें जमाबंदी पृष्ठ संख्या तथा जमाबंदी भाग संख्या तो रहती है. परंतु कई जमाबंदी रसीद में जमाबंदी नंबर नहीं होता.
ऐसी स्थिति में कई जमीन का निबंधन कराने व दाखिल-खारिज कराने के बाद रसीद लेने वाले पसोपेश में है. हालांकि कुछ कार्यालयों में छानबीन करने के बाद संबंधित कर्मियों द्वारा कमल से जमाबंदी संख्या लिख दिया जा रहा है. ऐसी स्थिति में भी जमीन खरीदने या दाखिल-खारिज कराने वाले को परेशानी हो रही है.
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