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हरिहर क्षेत्र में गूंजता रहा बोलबम का नारा

सोनपुर : सावन की तीसरी सोमवारी को जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं का सोमवार की अहले सुबह से ही बाबा हरिहर नाथ मंदिर पहुंचना शुरू हो गया था. पुरुष व महिला श्रद्धालुओं के साथ छोटे बच्चे भी बड़ों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जयघोष करते हुए नजर आ रहे थे. इस दौरान बोल बम के […]

सोनपुर : सावन की तीसरी सोमवारी को जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं का सोमवार की अहले सुबह से ही बाबा हरिहर नाथ मंदिर पहुंचना शुरू हो गया था. पुरुष व महिला श्रद्धालुओं के साथ छोटे बच्चे भी बड़ों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जयघोष करते हुए नजर आ रहे थे. इस दौरान बोल बम के जयघोष से संपूर्ण हरिहर क्षेत्र सोनपुर का इलाका गुंजायमान रहा. सोमवार सुबह से ही क्षेत्र में गेरुआ रंग से रंगे कांवरियों का पहलेजा घाट से जल लेकर बाबा हरिहर नाथ मंदिर मे आगमन शुरू हो चुका था.

सोमवारी को भक्तों एवं कांवरियों की सेवा के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से शिविर लगाये गये थे. अहले सुबह से भक्तों द्वारा बाबा हरिहर नाथ मंदिर सहित विभिन्न मठ मंदिरों में पूजा-अर्चना की गयी. लोक सेवा आश्रम के संत मौनी बाबा की ओर से जलपान, भोजन पानी की व्यवस्था की गयी थी.
इसके अलावा स्थानीय प्रशासन की ओर से चिकित्सकों की व्यवस्था की गयी थी थी. कांवरियों की सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस पूरी तरह मुस्तैद रही. स्काउट एवं गाइड के कैडेट भी सेवा भावना से मंदिर के अंदर एवं बाहर सेवा करते देखे गये.
मंदिरों में झूमते-नाचते पहुंचे शिवभक्त : रसूलपुर (एकमा). पवित्र सावन मास की तीसरी सोमवारी पर थाना क्षेत्र होकर बाबा महेंद्रनाथ धाम को जाने वाली हर सड़क जय शिव के नारों से गूंजती रही. गाजे, बाजे, डीजे पर केवल युवक ही नहीं बल्कि युवती और बुजुर्ग शिव भक्त महिलाएं भी थिरकती नजर आयीं.
छपरा-सीवान जिलों की सीमा पर अवस्थित प्रसिद्ध बाबा महेंद्रनाथ शिवालय के लिए दूर-दराज के शिव भक्त रसूलपुर होकर ही जाते हैं. छपरा-सीवान राष्ट्रीय उच्च पथ और महेंद्रनाथ हाल्ट रेलवे स्टेशन से जुड़े इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर के लिए जैसे-जैसे सावन महीना अपने अवसान पर पहुंच रहा है वैसे-वैसे शिव-भक्तों की भीड़ बढ़ती ही जा रही है.
सोहबत मेला मोहल्ले के शिव भक्तों की टोली में महिला श्रद्धालुओं को झूमते-नाचते देख लोग शिव भक्ति में गोता लगाते रहे. रसूलपुर क्षेत्र के बाबा मोहब्बत नाथ, दूधनाथ नवादा, दुर्गेश्वरनाथ रसूलपुर समेत प्राचीन गणेश शिव मंदिर रसूलपुर मठिया में भक्त सुबह होते ही जलाभिषेक के लिए पहुंचने लगे.
भक्ति में सराबोर दिखे श्रद्धालु, गीतों की रही गूंज
दिघवारा : सावन की तीसरी सोमवारी को लेकर आमी के मां अंबिका भवानी मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा और दिन भर इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. मंदिर में सुबह से शाम तक श्रद्धालु आस्था के सैलाब में डुबकी लगाते नजर आये.
हर कोई भक्ति गीतों पर झूमता नजर आया. मंदिर के आसपास की फिजा बोल बम व मां अंबिका की जय आदि जयकारों से गुंजायमान होता नजर आया. अत्यधिक भीड़ होने के कारण श्रद्धालुओं को जलाभिषेक व दर्शन करने में घंटों इंतजार करना पड़ा तब जाकर श्रद्धालु मां अंबिका का दर्शन करने में सफल हो सके.
इससे पूर्व दूर-दराज से पहुंचे शिवभक्तों ने पहले आमी के अंबिका भवानी घाट पर गंगा में आस्था की डुबकी लगायी, फिर जल भरकर सभी श्रद्धालु अंबिका मंदिर पहुंचे जहां गर्भगृह के उत्तरी छोर पर बने भोलेनाथ की भव्य मूर्ति के सामने के शिवलिंग पर सबों ने जलाभिषेक किया. बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गर्भगृह के बाहर से मां अंबिका के पिंडी रूप के दर्शन किये.
बाबा गुप्तेश्वरनाथ मंदिर से निकली भव्य जलाभिषेक यात्रा
दिघवारा. सावन की तीसरी सोमवारी को लेकर नगर पंचायत दिघवारा के चकनूर अवस्थित बाबा गुप्तेश्वर नाथ मंदिर से भव्य जलाभिषेक यात्रा निकाली गयी, जिसमें हजारों शिवभक्तों ने आस्था भाव के साथ हिस्सा लिया. जलाभिषेक यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था और हर कोई भोलेनाथ की भक्ति में झूमता देखा गया.
वहीं पुरुष व महिलाएं भी भोलेनाथ के भक्ति गीतों पर झूमते हुए अपने आस्था भाव का इजहार किया. हजारों शिवभक्तों के एक साथ झूमने का दृश्य माहौल को भक्तिमय बना रहा था. गर्मी से बेहाल शिवभक्तों का शरीर पसीने से लथपथ था फिर भी हर किसी की जुबान से बोल बम व बाबा गुप्तेश्वरनाथ की जय के नारों की गूंज थी.
हर कोई नारा लगाते हुए बाबा गुप्तेश्वर के दरबार की ओर बढ़ते नजर आये. श्रद्धालुओं की उमड़ी अप्रत्याशित भीड़ के आगे एनएच 19 पर वाहन भी सरकते नजर आये एवं यात्रियों को जगह-जगह जाम की स्थिति को झेलना पड़ा. सुबह के लगभग 7 बजे चकनूर के बाबा गुप्तेश्वर नाथ मंदिर परिसर से भव्य जलाभिषेक यात्रा निकाली गयी. इसमें डीजे की धुन के बीच श्रद्धालु झूमते नजर आये.
श्रद्धालुओं का जत्था चकनूर, सैदपुर, अनंत मिर्जापुर, बगही, मानुपुर, नवलटोला व ईशुपुर होते हुए आमी के अंबिका भवानी घाट पहुंचा जहां सभी भक्तों ने गंगा नदी में पहले आस्था की डुबकी लगायी. फिर जल लेकर मां अंबिका के दरबार पहुंचे जहां भोलेनाथ पर जलाभिषेक करने के बाद एक बार फिर श्रद्धालु गंगा घाट लौटे जहां से जल भरने के बाद श्रद्धालु झूमते नाचते गाते राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 19 के सहारे पुनः मंदिर लौटे जहां घंटों पंक्तिबद्ध होने के बाद श्रद्धालुओं ने बाबा गुप्तेश्वरनाथ पर जलाभिषेक किया.
नाग पंचमी व सोमवारी को लेकर शिवालयों में उमड़े भक्त
तरैया : सावन की तीसरी सोमवारी व नाग पंचमी को तरैया शिव मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए अहले सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, जो दोपहर बाद तक श्रद्धालु पूजा पाठ करते रहे. नवयुवकों की टोली मंदिर परिसर से डीजे व भांगरा के धुन पर नाचते-गाते झूमते गंगाजल भरी को निकलें.
श्रद्धालु भक्तों ने पानापुर थाना क्षेत्र के तीर्थस्थल मथुरा धाम गंडक नदी से पवित्र गंगा जलभरी की. गंगा जल लेकर श्रद्धालु डीजे की धूम पर नाचते झूमते पुनः तरैया शिव मंदिर पहुंचे, जहां भोले शंकर की पूजा-अर्चना कर गंगा जल अर्पित किया.
नाग पंचमी को नाग देवता को श्रद्धालुओं ने दूध-लावा चढ़ाया : सावन की नाग पंचमी को लेकर छोटे-छोटे बच्चे डलिया, बांस की दउरी व स्टील के बर्तनों में उजला बालू लेकर उसे मंत्रोच्चार को लेकर इधर-उधर जाते देखे गये. कुछ लोग बालू पढ़वाने को लेकर एक गांव से दूसरे गांव में पहुंचे, जहां से नाग पंचमी को पूजा-अर्चना को लेकर बालू पढ़वा कर लाया गया. उसके बाद नाग देवता को दूध व धान का लावा चढ़ाकर पूजा-अर्चना की गयी.
तरैया : सावन की तीसरी सोमवारी व नाग पंचमी को तरैया शिव मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए अहले सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, जो दोपहर बाद तक श्रद्धालु पूजा पाठ करते रहे. नवयुवकों की टोली मंदिर परिसर से डीजे व भांगरा के धुन पर नाचते-गाते झूमते गंगाजल भरी को निकलें.
श्रद्धालु भक्तों ने पानापुर थाना क्षेत्र के तीर्थस्थल मथुरा धाम गंडक नदी से पवित्र गंगा जलभरी की. गंगा जल लेकर श्रद्धालु डीजे की धूम पर नाचते झूमते पुनः तरैया शिव मंदिर पहुंचे, जहां भोले शंकर की पूजा-अर्चना कर गंगा जल अर्पित किया.
नाग पंचमी को नाग देवता को श्रद्धालुओं ने दूध-लावा चढ़ाया : सावन की नाग पंचमी को लेकर छोटे-छोटे बच्चे डलिया, बांस की दउरी व स्टील के बर्तनों में उजला बालू लेकर उसे मंत्रोच्चार को लेकर इधर-उधर जाते देखे गये. कुछ लोग बालू पढ़वाने को लेकर एक गांव से दूसरे गांव में पहुंचे, जहां से नाग पंचमी को पूजा-अर्चना को लेकर बालू पढ़वा कर लाया गया. उसके बाद नाग देवता को दूध व धान का लावा चढ़ाकर पूजा-अर्चना की गयी.

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