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जानें सात दिनों के सोनपुर मेले के सात विदेशी और सात बिहारी जायकों के बारे में

विदेशी टूरिस्टों को भा रहा बिहारी स्वाद तवा रोटी व लिट्टी-चोखा कर रहे पसंद सोनपुर के पर्यटक ग्राम में सात दिनों में पहुंचे सात विदेशी पर्यटकों को बिहार के सात जायके खूब पसंद आये हैं. वे न केवल तवा राेटी पसंद कर रहे हैं, बल्कि दाल-भात और सब्जी, लिट्टी-चोखा, मखाने की खीर, गुलाब जामुन और […]

विदेशी टूरिस्टों को भा रहा बिहारी स्वाद तवा रोटी व लिट्टी-चोखा कर रहे पसंद
सोनपुर के पर्यटक ग्राम में सात दिनों में पहुंचे सात विदेशी पर्यटकों को बिहार के सात जायके खूब पसंद आये हैं. वे न केवल तवा राेटी पसंद कर रहे हैं, बल्कि दाल-भात और सब्जी, लिट्टी-चोखा, मखाने की खीर, गुलाब जामुन और बालूशाही का स्वाद भी उन्हें खूब भा रहा है.
सात दिनों में यासुनारी नाकामुरा, योजो ओकामोटो, फुकीनो अदाची, हाजीमी ताशीरो, यूकियो वातानाबे, तकानो ओनिशी, माकिको मात्सुदा ने ये सभी स्वाद चखे हैं. विजिट बिहार के एमडी प्रकाश चंद्र यहां आहार नामक रेस्टोरेंट चलाते हैं. वह कहते हैं कि बिहारी स्वाद उन्हें खूब पसंद आया. सूप और नूडल्स के नाश्ते के बाद उन्होंने रोटी, वह भी तवा वाली पसंद की थी. चावल प्लेन भी लिया और पीली दाल के साथ पुलाव भी खाया. वे मछली साथ में लाये थे. इंस्टैंट फूड की तरह. सब्जी और चिकेन कढ़ी के साथ मंचूरियन, पालक पनीर का भी स्वाद लिया.
पर्यटन विभाग द्वारा तैयार स्वीस कॉटेज के प्रभारी प्रबंधक सुमन कुमार और सहायक प्रबंधक दीपक कुमार बताते हैं कि इस बार विदेशी सैलानियों की संख्या बहुत कम है. पिछली बार 24 विदेशी सैलानी और 16 देसी सैलानी आये थे. वहीं, 2016 में 106 पर्यटक आये थे, जिनमें 75% विदेशी थे. सबसे ज्यादा जापान से सैलानी आते हैं. इसके अलावा इटली, नीदरलैंड और अन्य यूरोप देशों के सैलानी भी आते हैं.
100 साल से यूपी के बहराइच से आ रहे पापड़ी मिठाई निर्माता
सोनपुर मेले में मुख्य बाजार से चिड़िया बाजार रोड पर पश्चिम दिशा में बढ़िए तो यहां उत्तर प्रदेश के बहराइच के कई पापड़ी मिठाई वाले दिखाई देंगे. यह पापड़ी मिठाई की कई वैराइटी के साथ-साथ हलवा-पराठा और मियां मिठाई बेचते हैं. इन सारी मिठाइयों का यहां शतक वर्ष चल रहा है. बहराइची हलवा-पराठा ऐसे कि देखते ही जी ललच जाये. दाम 140 रुपये किलो. बेसन की स्पेशल पापड़ी 80 रुपये किलो और खजूर की पापड़ी भी इतनी ही कीमत में उपलब्ध है. बहराइच और उसके आसपास के दो दर्जन से अधिक बुजुर्ग-युवक मेले में हलवा-पराठा बेच रहे हैं. बहराइच से आये 75 वर्षीय वारिस अली कहते हैं, दो पुश्तों से यहां आ रहा हूं, मेरी उम्र ही निकल गयी. इसके पहले मेरे पिता और दादा भी सोनपुर आते थे. इनके अलावा बहराइच के तीन और परिवार यहां इस कारोबार के लिए पहुंचते हैं.
झारखंड के अचार ला देंगे मुंह में पानी मुरब्बे की वैरायटी भी उपलब्ध
सोनपुर मेले में झारखंड के विभिन्न शहरों से आये लोग आपके मुंह में पानी ला देंगे. इसका कारण है कि यहां पर 20 तरह के अचार मिल जायेंगे. आपको आंवले का पंसद है या ओल का? बांस का या फिर आम का? सभी मिला कर चाहिए तो वह भी हाजिर है. कीमत 120 रुपये किलो से लेकर 150 रुपये तक. इस कीमत में आपके लिए गोड्डा, साहेबगंज, चतरा और दुमका से पहुंचे अचार के स्पेशल विशेषज्ञ मुंह खट्टा करायेंगे.
दुमका जिले के बासुकीनाथ से आये रामानंद मंडल कहते हैं कि आप जो भी अचार चाहेंगे, मिल जायेगा. हमारे पास कम-से-कम अचार और मुरब्बे की एक दर्जन से ज्यादा वैरायटी रहती है. गोड्डा के राकेश कहते हैं, पहले तो वह इलाका भी बिहार ही न था. यहां आकर कभी अलग नहीं लगता है. सद्भाव और भाईचारे में इस मेले जैसी कहीं कोई संस्कृति नहीं. लगता ही नहीं कि हम अपने घर से बाहर हैं.

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