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बिहार सोनपुर मेला : 2004 के सोनपुर मेले में 50 लाख में बिका था एक हाथी

सोनपुर मेले से रविशंकर उपाध्याय एक जमाने में जंगी हाथियों के सबसे बड़े केंद्र सोनपुर मेले में 50 लाख रुपये में एक हाथी बिका था और पांच लाख रुपये में एक गाय भी बिकी जो 35 लीटर दूध देती थी. 2004 के मेले में 345 हाथी आये थे. मेले की बंदाेबस्ती लेनेवाले स्थानीय नवीन कुमार […]

सोनपुर मेले से रविशंकर उपाध्याय
एक जमाने में जंगी हाथियों के सबसे बड़े केंद्र सोनपुर मेले में 50 लाख रुपये में एक हाथी बिका था और पांच लाख रुपये में एक गाय भी बिकी जो 35 लीटर दूध देती थी. 2004 के मेले में 345 हाथी आये थे. मेले की बंदाेबस्ती लेनेवाले स्थानीय नवीन कुमार सिंह ने बताया कि 2004 के मेले में 50 लाख में एक हाथी बिका था. यह रिकॉर्ड अब भी बरकरार है. 2015 में 17 और 2016 में 13 हाथी ही बिक्री के लिए आये थे. 2010 में ही मेले में पांच लाख रुपये की गाय बिकी थी जो भी एक रिकॉर्ड है. गाय 35 किलो दूध देती थी. उस समय देश के विभिन्न हिस्सों से गायें आती थीं.
इतिहास दोहराना मुश्किल : सोनपुर मेले का इतिहास उतना ही भव्य है जितनी इसके बारे में सुनी जाने वाली कहानियां. कहा जाता था कि यहां सब कुछ मिलता है! पर हाथी आते नहीं.
ऐतिहासिक तथ्य है कि मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त, मुगल सम्राट अकबर और बाबू कुंवर सिंह ने भी यहां से हाथी खरीदे थे. 1803 में गवर्नर रहे रॉबर्ड क्लाइव ने तो सोनपुर में घोड़े के लिए बड़ा अस्तबल भी बनवाया था. एक बार चंद्रगुप्त मौर्य ने 500 घोड़े खरीदे थेे. इसी तरह मुगल बादशाह औरंगजेब ने एक बार मेला पर छाये संकट को दूर करने के लिए यहां से दुर्लभ नस्ल वाले सफेद हाथी खरीद कर उन्हें शाही सेना में शामिल किया था. स्थानीय कौशल किशोर सिंह बताते हैं कि अब संकट इस मेले पर जूझ रहा है क्योंकि पशुओं के खरीदार घटे हैं.

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