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सेनापति के अभाव में कैसे रुके शराब तस्करी

छपरा (सदर) : सरकार के शराबबंदी के पैगाम को अंजाम पर पहुंचाने की दिशा में मुख्य भूमिका निभाने वाली उत्पाद पुलिस खुद ही पंगु है. जिले में उत्पाद अधीक्षक समेत 19 पदाधिकारियों के बदले महज एक इंस्पेक्टर तथा दो सब इंस्पेक्टर के जिम्मे शराबबंदी की ड्यूटी में लगे रंगरूट उत्पाद सिपाहियों के जिम्मे है. ऐसी […]

छपरा (सदर) : सरकार के शराबबंदी के पैगाम को अंजाम पर पहुंचाने की दिशा में मुख्य भूमिका निभाने वाली उत्पाद पुलिस खुद ही पंगु है. जिले में उत्पाद अधीक्षक समेत 19 पदाधिकारियों के बदले महज एक इंस्पेक्टर तथा दो सब इंस्पेक्टर के जिम्मे शराबबंदी की ड्यूटी में लगे रंगरूट उत्पाद सिपाहियों के जिम्मे है. ऐसी स्थिति में बिना सेनापति वाले रंगरूट उत्पाद सिपाहियों से शराब के धंधेबाजों पर लगाम लगने के प्रशासन की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. संसाधन के अभाव में उत्पादन विभाग की 25 रंगरूट सिपाही पूरे दिन उत्पादन विभाग के कार्यालय में समय बिताने को विवश हैं. आखिर वे करें तो क्या करें.

उत्पाद अधीक्षक की जिम्मेवारी उत्पाद निरीक्षक धीरेंद्र कुमार सिन्हा को दी गयी है. विभाग ने जहां सिपाहियों की तैनाती की है. विभाग ने शराब के धंधे पर नियंत्रण रखने के लिए बिहार यूपी की सीमा पर मांझी में चेकपोस्ट भी बनाया. वहीं उत्पाद पुलिस को भी शराब के धंधे पर लगाम कसने के लिए तैनाती की. परंतु, मांझी चेक पोस्ट से यूपी से बिहार शराब के धंधे पर रोक लगाने के लिए स्थापित किया गया था. उसे उत्पाद पुलिस के हाथों से लेकर जिला पुलिस के जिम्मे सौंप दिया.
वहीं मांझी स्थित उत्पाद विभाग के चेकपोस्ट पर तैनात किये गये दो सब इंस्पेक्टर को छपरा-सीवन के बॉर्डर पर सहाजितपुर थाना क्षेत्र के पिंडरा गांव के पास तैनात कर दिया गया. आखिर बिहार-यूपी की सीमा पर काम करने वाली उत्पाद पुलिस के दोनों अवर निरीक्षकों को छपरा-सीवान के बॉर्डर पर तैनात कर जिला प्रशासन को क्या हासिल हुआ. दो ही सब इंस्पेक्टर थे. वहीं दोनों को छपरा-सीवान की सीमा पर सील करने से विभाग की उपलब्धि भी शून्य हो गयी. चूंकि सीवान और छपरा दोनों जिले में शराबबंदी लागू है तथा दूसरे राज्य से शराब लेकर आने वाले किसी भी स्थिति में छपरा-सीवान बॉर्डर पर छपरा मलमलिया रोड में पिंडरा गांव में जाने की जरूरत नहीं समझेंगे.
सारण जिले में उत्पाद अधीक्षक समेत 19 उत्पाद पदाधिकारियों पर सृजित है. परंतु चार माह पूर्व सारण जिले के उत्पाद अधीक्षक रेणु सिन्हा को विभाग ने निलंबित कर दिया. वहीं उत्पाद निरीक्षक के दो में से एक पद रिक्त है. अवर निरीक्षक उत्पाद के 9 में से 7 पद रिक्त है तथा सहायक अवर निरीक्षक उत्पादन के सभी सात पद रिक्त पड़े है. ऐसी स्थिति में पांच माह पूर्व बहाल होकर आये 25 उत्पाद पुलिस के जवान जिसमें युवक-युवतियां हैं तथा उन्हें प्रशिक्षण भी नहीं है. वे पदाधिकारी के अभाव में छापामारी करने के बदले दिनभर उत्पाद कार्यालय में समय बीताने को विवश हैं. इनके अलावें दो अन्य अवर निरीक्षक है उन्हें छपरा-सीवान बोर्डर में लगाया गया है. ऐसी स्थिति में तीन जुलाई के बाद औसतन छापामारी एक चौथाई हो गयी है.
अधिकारियों व कर्मियों की स्थिति
उत्पाद अधीक्षक- चार माह से पद रिक्त
उत्पाद निरीक्षक – दो पद, एक रिक्त
उत्पाद अवर निरीक्षक-9 पद, 7 रिक्त
सहायक उत्पाद निरीक्षक- 7 पद, सभी रिक्त
उत्पाद पूलिस-35 पद, 7 रिक्त
क्या कहते हैं पदाधिकारी
उत्पाद पदाधिकारियों की भारी कमी की वजह से अप्रशिक्षित उत्पाद के नवनियुक्त 25 जवान छापेमारी करने के लिए जा नहीं सकते. पदाधिकारियों के 19 में से 16 पद रिक्त हैं. आखिर छापामारी करने के लिए रंगरूट सिपाही कैसे जायें. कभी-कभी मौका मिलने पर ही छापामारी हो पाती है.
डीके सिन्हा, प्रभारी उत्पाद अधीक्षक, सारण

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