Samastipur News:मोहिउद्दीननगर : प्रखंड क्षेत्र की दर्जनों महिलाएं हाई रिस्क प्रेगनेंसी से प्रभावित हो रही हैं. इसका सबसे बड़ा कारण एनीमिया, रक्तचाप, डायबिटीज और प्री सिजेरियन डिलीवरी है. इसका खुलासा प्रत्येक महीने सीएचसी में आयोजित किए जा रहे प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत एएनसी की जांच रिपोर्ट के बाद हुआ है. इसमें करीब 10 फीसदी महिलाएं हाई रिस्क प्रेगनेंसी की शिकार होती हैं. हालांकि शिशु एवं मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही है. संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जा रहा है लेकिन हाई रिस्क प्रेगनेंसी इस राह में रोड़ा बन गई है. ऐसा माना जाता है कि गर्भवती महिलाएं जिनके रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा 7 ग्राम से कम होती है उन्हें हार्ड रिस्क प्रेगनेंसी की श्रेणी में रखा जाता है. खासकर कम आय वाली ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नही रहती हैं. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति संवेदनशील नहीं होने के कारण गर्भावस्था के दौरान उन्हें कई प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ता है. ऐसी स्थिति में खासकर प्रसव के दौरान जच्चे व बच्चे के जीवन के साथ हमेशा खतरा बना रहता है. चिकित्सकों की बात मानें तो 19 वर्ष से कम और 35 वर्ष से अधिक आयु की गर्भवती महिलाओं को इसका खतरा अधिक होता है. साथ ही गर्भावस्था के दौरान खानपान का ध्यान नहीं रखना, धूम्रपान व खराब जीवन शैली से हाई रिस्क प्रेगनेंसी का खतरा बना रहता है. चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. साधना आनंद एवं डॉ. गीता कुमारी ने बताया कि स्वास्थ्य और पोषण की दृष्टिकोण से महिलाओं को सालों से नजअंदाज किया जाता है. गर्भावस्था अवस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है. उन्हें चिकित्सकों की निगरानी में सतत स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए.
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