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Samastipur News: ढाई दर्जन गाय, हरेक माह डेढ़ लाख की आय

बेरोजगारी की मैली चादर ओढ़े युवाओं के लिए पशुपालक मिथिलेश प्रेरणा श्रोत हो सकते हैं. अगर इनके बुलंद इरादे याद रहे.

Samastipur News: विद्यापतिनगर : बेरोजगारी की मैली चादर ओढ़े युवाओं के लिए पशुपालक मिथिलेश प्रेरणा श्रोत हो सकते हैं. अगर इनके बुलंद इरादे याद रहे. विद्यापतिनगर गढ़सिसई के मिथिलेश बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर थे. आठवीं तक कि शिक्षा मध्यम मजदूरी के लिए नाकाफी था. चार पांच हजार की प्राइवेट नौकरी नसीब नहीं थी. तभी घर पर गौपालन की शुरुआत की. एक से दो. फिर दो से बत्तीस का सफर तय किया. तीन क्विंटल दूध प्रतिदिन मिथिला डेयरी को देते हैं. अधिक दूध उत्पादन से ये डेयरी के सक्रिय सदस्य बने हैं. डेयरी से मिथिलेश साढ़े तीन लाख रुपए का उपार्जन कर रहे हैं. शुद्ध मुनाफा डेढ़ लाख प्रतिमाह होने की जानकारी देते हैं. मिथिलेश की माने तो बेरोजगारी एक मानसिक बीमारी बन गयी है.

– पशुपालक युवा मिथिलेश बने नजीर

उनका कहना है कि किसी भी क्षेत्र में मजबूत इरादों के साथ कार्य प्रारंभ किया जाय तो परिणाम बेहतर हो सकते हैं. जो बेरोजगारी दूर करने व आत्मनिर्भर होने का जरिया हो सकता है. प्रखंड क्षेत्र में दूध उत्पादन से आर्थिक समृद्धि के साथ सामाजिक बदलाव भी आया है. श्वेत क्रांति से पशुपालकों के जीवन में बाहर आने लगा है. दूध उत्पादन के कारोबार से उनके बच्चे की शैक्षणिक गतिविधि में भी बदलाव आया है. डेयरी फॉर्म व इस ओर सरकारी मदद से अब पशुपालन एक सशक्त और लाभकारी व्यवसाय के रूप में उभर रहा है. खासकर उन क्षेत्रों में जहां किसान पहले केवल कृषि पर निर्भर रहते थे. अब दूध उत्पादन ने उनके जीवन को एक नया आयाम दिया है. कुल मिला कर दूध उत्पादन ने पशुपालकों की जीवनशैली में व्यापक बदलाव लाया है. यह केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि उनकी समृद्धि और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है.

प्रतिदिन होता साठ हजार लीटर दूध का उत्पादन

प्रखंड पशु चिकित्सा पदाधिकारी डा विपिन कुमार की गणना में अंचल क्षेत्र में 25 हजार दूध देने वाली गाय व भैसें हैं. छह दूध संग्रह केंद्र स्थापित है. इनमें बढ़ौना, चकुमर, आलमपुर सिमरी, आलमपुर, मलकलीपुर और फिरोजपुर शामिल है. इनसे जुड़े अस्सी दूध उत्पादन सहयोग समिति केंद्र हैं. इन केंद्रों पर प्रतिदिन साठ हजार लीटर दूध लाया जाता है. इसमें मिथिला डेयरी को प्रतिदिन इकत्तीस हजार सात सौ लीटर दूध मिलता है. बाकी दूध गंगा डेयरी, बरौनी डेयरी, ओसम डेयरी, आईटीसी व बापूधाम नाम के डेयरी को दिया जाता है. सर्वाधिक दूध उत्पादन समिति आलमपुर है. जहां बाइस हजार लीटर प्रतिदिन दूध का संग्रह होता है. वहीं सबसे अधिक उत्पादन वाला पंचायत सिमरी है. यहां प्रतिदिन ग्यारह हजार लीटर दूध का उत्पादन है.

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