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Samastipur News:पत्राचार के खेल में नहीं मिल रहा शिक्षकों का नयी दर से मकान किराया

जिला शिक्षा विभाग का डीपीओ स्थापना संभाग जिला में कार्यरत शिक्षकों के नई आवास भत्ता का भुगतान करने की बजाय सिर्फ पत्र जारी किये जाने पर शिक्षकों में नाखुशी देखने को मिल रही है.

Samastipur News:समस्तीपुर : जिला शिक्षा विभाग का डीपीओ स्थापना संभाग जिला में कार्यरत शिक्षकों के नई आवास भत्ता का भुगतान करने की बजाय सिर्फ पत्र जारी किये जाने पर शिक्षकों में नाखुशी देखने को मिल रही है. शिक्षकों का कहना है कि जिले में एक ही विद्यालय में कार्यरत विभिन्न कोटि के शिक्षकों को अलग-अलग दर से मकान किराया भत्ता का भुगतान किया जा रहा है. शहर स्थित विद्यालय एवम नगर क्षेत्र से आठ किमी परिसीमा में स्थित विद्यालय के नियमित और नियोजित शिक्षक को 10 प्रतिशत, बीपीएससी से नियुक्त विद्यालय अध्यापक को 8 प्रतिशत व विशिष्ट शिक्षक को 4 प्रतिशत की दर से मकान किराया का भुगतान किया जा रहा है. शिक्षको का यह भी कहना है कि नगर निगम के अधीन कार्यरत शिक्षको को सीटीए नहीं दिया जा रहा है. जिससे शिक्षकों को एचआरए मद में प्रतिमाह तीन हजार से लेकर पांच हजार तक कम राशि प्राप्त हो रही है. इस मामले में डीपीओ स्थापना ने माह अप्रैल में पत्र जारी कर सभी बीइओ से डाटा की मांग की. बीइओ कार्यालय से सूची अप्राप्त रहने पर फिर स्थापना कार्यालय ने बीते अगस्त के अंतिम सप्ताह में स्मार पत्र जारी कर सभी बीइओ से संशोधित आवास भत्ता के लिए सूची का मांग की है. डीपीओ स्थापना द्वारा जारी पत्र में सभी शिक्षकों से स्व घोषणा पत्र का मांग किये जाने पर भी प्रश्न खड़े किये जा रहे हैं. ज्ञात हो कि वर्ष 2023 में शिक्षकों द्वारा किये जाने वाले आंदोलन को देखते हुए डीपीओ स्थापना संभाग ने नगर क्षेत्र के आठ किमी की परिधि में स्थित करीब दो दर्जन से अधिक विद्यालयों को वर्द्धित मकान किराया भत्ता का भुगतान प्रारंभ किया था. लेकिन ऐसे ही शिक्षकों को विशिष्ट बनने पर वर्द्धित आवास भत्ता का भुगतान बंद कर दिया गया. जानकारों की माने तो ऐसे शिक्षक और विद्यालय जिन्हें वर्ष 2023 में वर्द्धित एचआरए के साथ भुगतान प्रारम्भ किया गया था, उनसे स्व घोषणा की मांग किया जाना कहीं से न्यायोचित नहीं है. जबकि ऐसे शिक्षकों व विद्यालय की सूची पहले से ही स्थापना कार्यालय में मौजूद है. अब देखना है कि माह अगस्त के वेतन से वर्द्धित एचआरए के साथ वेतन मिलता है या पत्राचार के खेल में वही पुराने दर से भुगतान, इस पर शिक्षकों की निगाहें टिकी हुई है.

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