Bihar News: बिहार के समस्तीपुर जिले के हसनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत बड़गांव गांव में शुक्रवार को दिल दहला देने वाली घटना घटी. गांव के 13 वर्षीय सत्यम कुमार की मौत आवारा कुत्तों के झुंड के हमले में हो गई. सत्यम अपने दोस्तों के साथ डीहवार बाबा स्थान पूजा करने गया था, जहां रास्ते में अकेले देखकर दर्जनों कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया. कुत्तों ने बच्चे का चेहरा और गर्दन नोच डाला, जिससे मौके पर ही उसकी दर्दनाक मौत हो गई.
पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर सत्येंद्र कुमार के अनुसार, सत्यम के गर्दन और सिर पर 16 गहरे जख्म मिले हैं. चेहरा इस कदर क्षत-विक्षत हो गया था कि पहचान पाना मुश्किल था. परिजन जब पहुंचे, तब तक सत्यम का शरीर कंकाल में तब्दील हो चुका था.
गांव में तीसरी ऐसी घटना, प्रशासन पर उठे सवाल
यह पहली बार नहीं है जब बड़गांव में किसी मासूम की जान कुत्तों ने ली हो. पिछले एक महीने में यह तीसरी घटना है. 28 अप्रैल को इसी गांव में 10 साल की बच्ची अस्मिता कुमारी को भी कुत्तों ने नोचकर मार डाला था. उस समय भी 15-20 कुत्तों के झुंड ने बच्ची पर हमला किया था. इलाज के दौरान रास्ते में उसकी मौत हो गई थी.
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन को शिकायत दी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. घटना के दो दिन बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी ने पशुपालन विभाग को पत्र लिखकर कुत्तों को पकड़ने की मांग की थी, लेकिन विभाग ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया.
गुस्साए लोगों ने किया सड़क जाम, मांगा मुआवजा और एक्शन
घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने सत्यम के शव को सड़क पर रखकर जाम लगा दिया. शुक्रवार रात करीब 8 बजे से आधी रात तक सड़क पूरी तरह से ठप रही. ग्रामीणों की मांग थी कि पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाए और गांव में तत्काल कुत्तों को पकड़ने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हो.
स्थानीय लोगों ने कहा कि शराबबंदी के नाम पर प्रशासन पूरी ताकत से हरकत में आ जाता है, लेकिन जब जानें जा रही हैं, तब कोई नहीं पहुंचता. प्रशासन की लापरवाही से अब तक तीन बच्चों की जान जा चुकी है, फिर भी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ चुप्पी है.
एक्सपर्ट्स ने बताया क्यों बनते हैं कुत्ते आदमखोर
एक्सपर्ट्स ने बताया कि जब कुत्ते इंसानों या जानवरों का खून और मांस खा लेते हैं, तो उनकी प्रवृत्ति हिंसक हो जाती है. ऐसे कुत्ते अकेले नहीं, झुंड में हमला करते हैं और अधिक से अधिक मांस खाने की प्रवृत्ति के कारण पूरी तरह से आदमखोर बन जाते हैं.
उन्होंने बताया कि पागल कुत्ते एक बार काटकर छोड़ देते हैं, जबकि खूंखार कुत्ते तब तक काटते हैं जब तक शिकार का शरीर पूरी तरह क्षत-विक्षत न हो जाए. ऐसे कुत्तों को तुरंत पकड़कर अलग करना आवश्यक है.
प्रशासन कब जागेगा?
बड़गांव गांव के लोग अब डर और गुस्से में हैं. बच्चों को घर से बाहर भेजने में भी लोग डरने लगे हैं. प्रशासन को चाहिए कि वह इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द से जल्द कार्रवाई करे, ताकि फिर कोई मासूम इस तरह की दर्दनाक मौत का शिकार न हो. वरना लोगों का भरोसा सिस्टम से पूरी तरह उठ जाएगा.
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