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डीईओ व डीपीओ स्थापना से जवाब-तलब, वेतन बंद

शिक्षा विभाग इन दिनों एक्शन मोड में है. दिशा-निर्देशों व कार्यकलापों की समीक्षा प्रतिदिन की जा रही है. किसी भी स्तर पर लापरवाही बरतने वाले दंडित भी किए जा रहे है.

समस्तीपुर : शिक्षा विभाग इन दिनों एक्शन मोड में है. दिशा-निर्देशों व कार्यकलापों की समीक्षा प्रतिदिन की जा रही है. किसी भी स्तर पर लापरवाही बरतने वाले दंडित भी किए जा रहे है. बीपीएससी टीआरई-1 एवं टीआरई-2 के बहाल शिक्षकों का अब तक वेतन का भुगतान नहीं होने पर शिक्षा विभाग के अपर सचिव ने बिहार के सभी डीईओ एवं डीपीओ स्थापना से जवाब-तलब करते हुए वेतन भुगतान पर तत्काल रोक लगा दी है. शिक्षा विभाग के निदेशक सह अपर सचिव सुबोध कुमार चौधरी ने डीईओ एवं डीपीओ स्थापना को ज्ञापांक 58 सी के माध्यम से आदेश जारी किया है. अपर सचिव ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि डीईओ एवं डीपीओ को कई बार बीपीएससी के नियुक्त शिक्षकों के पेमेंट में आ रही विभिन्न समस्याओं को दूर करके अविलंब वेतन का भुगतान कराने का निर्देश दिया. इसके बावजूद जिला स्तर पर समस्याओं को गंभीरता से निबटारा करने में रुचि नहीं दिखाई जा रही है. डीईओ एवं डीपीओ की सुस्ती को विभागीय कार्य को प्रभावित करने वाला, कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही, स्वेच्छाचारिता एवं वरीय पदाधिकारियों के आदेश की अवहेलना मानी है. डीईओ एवं डीपीओ को 24 घंटे के अंदर जवाब देने के लिए कहा है. तब तक डीईओ एवं डीपीओ के वेतन पर तत्काल रोक लगा दी है. जिले में करीब टीआरई-1 और टीआरई-2 के कुल शिक्षकों का वेतन पेंडिंग बताया जा रहा है. इधर, विद्यालयों का निरीक्षण लक्ष्य के अनुरूप नहीं करने पर डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने विभूतिपुर, हसनपुर, कल्याणपुर, मोहिउद्दीननगर, पूसा, समस्तीपुर, सरायरंजन, शिवाजीनगर, रोसड़ा व उजियारपुर के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से स्पष्टीकरण पूछते हुए अप्रैल माह का वेतन स्थगित कर दिया है. डीईओ ने बताया कि रोस्टर जारी कर विभागीय दिशा-निर्देश के आलोक में लक्ष्य के अनुरूप विद्यालयों का निरीक्षण करना है. दायित्वों के निर्वहन में किसी तरह की कोताही कतई बर्दाश्त नहीं की जायेगी. जिले के प्रारंभिक, मध्य, उत्क्रमित, उच्च व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के लिये बुरी खबर है. अब बारह बजे लेट नहीं, तीन बजे भेंट नहीं की आदत उन्हें छोड़नी होगी. इसके साथ ही विद्यालय में पढ़ाने के बजाय गप्पें हांकने से उन्हें बाज आना होगा, अन्यथा उनके विरुद्ध कार्रवाई तय है. इसके लिये विद्यालयों का औचक निरीक्षण कराया जायेगा. जिसके मानक तय किये गये हैं. अब उन्हें न केवल समय पर विद्यालय आना होगा बल्कि शिक्षा की मुक्कमल व्यवस्था करनी होगी. निरीक्षण में सभी प्रकार की जांच के प्रावधान किये गये हैं, जिसमें उनका बच पाना मुश्किल होगा. नये निर्देश पर अमल हुआ तो शिक्षा विभाग के अधिकारी सिर्फ कार्यालयों में बैठकर विद्यालय निरीक्षण की झूठी रिपोर्ट तैयार नहीं कर सकेंगे. शिक्षा विभाग ने प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारियों के लिये निरीक्षण के नये मानक तय किये हैं. निरीक्षण की नयी व्यवस्था में यह तय किया गया है कि अधिकारियों को निरीक्षण के क्रम में क्या-क्या देखना है. इससे संबंधित पत्र जिले के सभी अधिकारियों को उपलब्ध कराये गये हैं. निरीक्षण में जिन विन्दुओं पर आवश्यक रूप से ध्यान दिया जाना है उसमें पाठ टीका, बच्चों के प्रगति पत्रक का नियमित संधारण एवं अभिभावकों की बैठक में उस पर चर्चा, समझकर पढ़ाने की व्यवस्था, बच्चों के सीखने हेतु शिक्षक द्वारा किये जा रहे नवाचार, बच्चों के भाषा एवं गणित का सामूहिकीकरण, बच्चों द्वारा प्रश्न पूछने की क्षमता विकास का अवलोकन, बच्चों से प्रश्न पूछकर उनकी दक्षता का मूल्यांकन तथा शिक्षण के उपयोग में लायी जाने वाली शिक्षण अधिगम सामग्री का मूल्यांकन एवं उसका उपयोग शामिल हैं.

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