Samastipur News: पूसा : प्रोटीनयुक्त मशरूम विभिन्न दाल व सब्जियों का विकल्प बनकर सर्वोत्तम व्यंजन के रूप में प्रख्यात हो चुका है. मशरूम का उत्पादन घर के अंदर झोला टांगकर सभी मौसम में संभव है. यह बातें डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित संचार केंद्र के पंचतंत्र सभागार में मशरूम उत्पादन में वैज्ञानिक विधि विषय पर आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण सत्र के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ रत्नेश कुमार झा ने कही. उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में मुख्य रूप से प्रशिक्षण के दौरान सैद्धांतिक से ज्यादा लाभकारी प्रायोगिक सत्र होता है.फसल अवशेष का भरपूर उपयोग कर गेहूं के भूसा से किसान कम लागत में ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकते हैं. वैज्ञानिक डॉ एसएन सिंह ने कहा कि खाने योग्य गुद्देदार फफूंद को ही मशरूम कहते हैं. अखाद्य मशरूम को टोड स्टूल कहते हैं. संचालन करते हुए प्रसार शिक्षा उप निदेशक सह कोर्स कॉर्डिनेटर वैज्ञानिक डॉ बिनीता सतपथी ने कहा कि मशरूम उत्पादन ट्राइबल क्षेत्र से शुरू होकर आज सम्पूर्ण देश में ग्रामीण महिलाओं की जीवकोपार्जन का साधन बन गया है. धन्यवाद ज्ञापन वैज्ञानिक डॉ फूलचंद ने किया.
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