Samastipur News:पूसा : डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय परिसर स्थित संचार केंद्र के पंचतंत्र सभागार में मशरूम उत्पादन व संवर्द्धन उत्पाद तथा विपणन विषय पर चल रहे पांच दिवसीय प्रशिक्षण प्रमाण पत्र वितरण के साथ ही संपन्न हुआ. अध्यक्षता करते हुए प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ रत्नेश कुमार झा ने कहा कि मशरूम उत्पादन, संवर्धन और विपणन का महत्व पोषण, आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बहुत अधिक है. यह कम लागत, सीमित स्थान में स्वरोजगार, कृषि अपशिष्टों का उपयोग और प्रोटीन व विटामिन से भरपूर भोजन प्रदान करता है. जिससे कुपोषण कम होता है. वहीं विपणन और मूल्य संवर्धन किसानों की आय बढ़ाते हैं. बाजार की मांग पूरी करते हैं. उद्योग को टिकाऊ बनाते हैं. उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन, विटामिन बी, डी व खनिज आयरन, जिंक, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर जो कुपोषण और बीमारियों मधुमेह, मोटापा को दूर करने में मदद करता है. कम पूंजी, कम समय और कम जगह में अधिक आय का स्रोत, जो युवाओं और महिलाओं के लिए स्वरोजगार का शानदार अवसर है. इससे प्रदूषण कम होता है और अपशिष्ट खाद में बदल जाता है. साथ ही निदेशक डॉ झा ने कहा कि मशरूम को सुखाकर, पाउडर बनाकर या उससे स्नैक्स व अन्य खाद्य उत्पाद बनाकर उसकी शेल्फ लाइफ और बाजार मूल्य बढ़ाया जा सकता है. संगठित विपणन से अतिरिक्त उत्पादन की समस्या खत्म होती है. जिससे आर्थिक लाभ बढ़ता है. जागरूकता अभियान, विज्ञापन व लोगों को मशरूम के स्वास्थ्य लाभों के बारे में शिक्षित करके इसकी खपत बढ़ाई जा सकती है. धन्यवाद ज्ञापन प्रसार शिक्षा उप निदेशक प्रशिक्षण डॉ बिनीता सतपथी ने किया. जिला कृषि पदाधिकारी डाॅ सुमित सौरभ सह परियोजना निदेशक के मार्गदर्शन में विभिन्न प्रखंडों के 30 कृषकों के दल को आवासीय प्रशिक्षण दिया गया. मौके एटीएम मारुतनंदन शुक्ला, टेक्निकल टीम के सुरेश कुमार, सूरज कुमार, बिक्की कुमार मौजूद थे.
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