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Samastipur : विद्यांजलि 2.0 योजना : शत-प्रतिशत स्कूलों को पंजीयन का निर्देश

. शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों का अनुकरण करते हुए विद्यांजलि 2.0 कार्यक्रम विकसित किया गया है.

समस्तीपुर . शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों का अनुकरण करते हुए विद्यांजलि 2.0 कार्यक्रम विकसित किया गया है. इस कार्यक्रम का मकसद स्कूल स्तर पर सामुदायिक व शैक्षिक भागीदारी को बढ़ावा देकर स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया जाना है. विद्यांजलि दो एक स्वयंसेवी प्रबंधन कार्यक्रम है जो भारत के नागरिक को भारतीय मूल के व्यक्ति या संगठन को विद्यालयों में सुझाये गये विभिन्न कदमों व गतिविधियों में भाग लेकर सेवाएं व मुफ्त में सामग्री उपकरण प्रदान करेगा. इस कार्यक्रम के तहत सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों को समुदाय तथा विभिन्न स्वयंसेवकों से जोड़ने के लिए शिक्षा मंत्रालय की ओर से विद्यांजलि वेब पोर्टल विकसित किया गया है. स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने को शिक्षकों को विद्यांजलि 2.0 पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा. उसके बाद स्कूलों की कमियां को पूरा किया जाएगा. विद्यांजलि 2.0 पोर्टल पर जिले के सभी विद्यालयों का पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) करने का निर्देश बिहार शिक्षा परियोजना परिषद, पटना के राज्य परियोजना निदेशक ने दिया है. इसी आलोक में डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने सभी प्रखंड के स्कूलों के प्रधानों को अविलंब रजिस्ट्रेशन करने का निर्देश दिया है. अपने पत्राचार में स्पीडी ने दस विषयगत क्षेत्र भी दिये हैं. इन्हीं विषयगत क्षेत्र के तहत विद्यालयों को अपने अपने आवश्यकताओं का निर्धारण करना है. वर्तमान में स्थिति यह है कि जिले के सभी स्कूलों का रजिस्ट्रेशन विद्यांजलि 2.0 पोर्टल पर कराना अनिवार्य होगा.

पुराने डाटा को लेकर विद्यालयों संशय की स्थिति

अब तक शत प्रतिशत स्कूल का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका है. जिले के 3266 विद्यालयों में से 2865 सरकारी व 401 निजी है. हालांकि यह डाटा पुराना है. वही 2787 विद्यालय ऑनबोडेड है, जिसमें 2737 सरकारी व 50 निजी है. वही 479 विद्यालय पंजीकृत नहीं हुए है. विदित हो कि हाल के दिनों में प्रस्वीकृति प्राप्त निजी विद्यालयों की संख्या करीब 580 है. वही कुछ सरकारी विद्यालय भी टैग हुए है. जिला शिक्षा विभाग को नये डाटा के अनुसार विद्यांजलि 2.0 पोर्टल पर कार्यान्वित कराने की पहल करनी होगी. पंजीकृत कुछ विद्यालयों के एचएम ने बताया कि कहा गया था कि विद्यांजलि 2.0 ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के साथ सबका प्रयास के संकल्प को एक मंच प्रदान करेगा. लेकिन विद्यालयों में शिक्षक, सामग्री, उपकरण जैसी अन्य आवश्यकताएं निजी क्षेत्र से पूरी की जा सकी है.

हाई स्कूल में पड़ी राशि से नहीं हो सका विकास

जिले के हाई स्कूलों में पड़ी लाखों की राशि का उपयोग आस-पास के प्राथमिक और मध्य (प्रारंभिक) विद्यालयों का विकास नहीं किया जा सका. इस कार्य को सुनिश्चत कराने का निर्देश शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने डीएम को दिया था. लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद से इस निर्देश पर संज्ञान लेना भी मुनासिब नहीं समझा गया. उन्होंने निरीक्षण के बाद कहा था कि कई जगहों पर प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में फर्नीचर की कमी के कारण बच्चे फर्श पर बैठने को मजबूर हैं. इसलिए उक्त राशि का उपयोग कर विद्यालयों में शौचालयों का जीर्णोद्धार और फर्नीचर खरीद का काम कराएं. डीएम को कहा गया था कि निरीक्षण के दौरान देखा गया है कि कई माध्यमिक विद्यालयों में जरूरत से ज्यादा फर्नीचर हैं, या उनके छात्रकोष में काफी राशि पड़ी है. अपनी आवश्यकता को पूरा करने के बाद भी उनके पास लाखों की राशि अब भी पड़ी है. इसके ठीक विपरीत इन्हीं माध्यमिक विद्यालयों के अगल-बगल के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों की स्थिति ठीक नहीं है. डीएम को लिखे पत्र में यह साफ किया गया है कि नई शिक्षा नीति, 2020 इस बात की न सिर्फ अनुमति देती है, बल्कि हमें प्रोत्साहित करती है कि हम विद्यालयों को समूह के रूप में देखें. उस समूह के केंद्र में एक विद्यालय होता है और उसके आस-पास के प्रारंभिक विद्यालय उसके अंग होते हैं. स्कूल समूह की धारणा से प्रेरणा लेते हुए उक्त निर्देशों का पालन सुनिश्चत कराने को कहा था.

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