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झूठे आश्वासनों में फंस जाती है देश की भोली भाली जनता

मतदान प्रचार के मंच से देश के विभिन्न दलों के नेताओं द्वारा भारत की भोली- भाली जनता के समक्ष परोसे जाने वाले झूठे आश्वासनों को लेकर कटाक्ष करती कवि अनिरुद्ध झा दिवाकर की इन पंक्तियों को सुनते ही सभा-कक्ष तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी. अवसर था साहित्य संगम की नियमित मासिक काव्य गोष्ठी का.

रोसड़ा : मतदान प्रचार के मंच से देश के विभिन्न दलों के नेताओं द्वारा भारत की भोली- भाली जनता के समक्ष परोसे जाने वाले झूठे आश्वासनों को लेकर कटाक्ष करती कवि अनिरुद्ध झा दिवाकर की इन पंक्तियों को सुनते ही सभा-कक्ष तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी. अवसर था साहित्य संगम की नियमित मासिक काव्य गोष्ठी का. संस्था के अध्यक्ष अनिरुद्ध झा दिवाकर की अध्यक्षता में देर संध्या तक चली इस गोष्ठी का संचालन संस्था के उपाध्यक्ष राम स्वरूप सहनी रोसड़ाई ने किया. उद्घाटन संस्था के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव एवं संयुक्त सचिव ने संयुक्त रूप से किया. संयुक्त सचिव मनोज कुमार झा शशि के गाये गये सरस्वती वन्दना के साथ काव्य-पाठ का शुभारम्भ किया गया. त्रिलोकनाथ ठाकुर ब्रजभूषण ने गजल जवां-ए-इश्क गजब का होता जनाब, लिहाजे उम्र इसकी कोई फितरत नहीं पर खूब वाहवाही लूटी. मनोज कुमार झा शशि ने अपनी मैथिली रचना में मिथिला देश मैथिली भाषा और मिथिला के खानपान को आधार बनाकर लिखे गये गीत को अपनी कर्ण-प्रिय,सुकोमल एवं सुमधुर वाणी से और भी मधुर बना दिया. कवि राम स्वरूप सहनी रोसड़ाई ने अपनी गजल की सुन्दर प्रस्तुति से थोड़ी ठंडक प्रदान की और श्रोताओं को अपने प्रत्येक सुर पर वाह-वाह कहने को मजबूर कर दिया. अन्त में संस्था के सचिव तृप्ति नारायण झा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ गोष्ठी सह मुशायरा के समापन की घोषणा की गई.

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