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Samastipur : विद्यालय शिक्षा समिति की सक्रिय भूमिका पर जोर

विद्यालय शिक्षा समिति किसी भी विद्यालय की रीढ़ की हड्डी होती है. यह केवल एक संस्था नहीं.

वारिसनगर . विद्यालय शिक्षा समिति किसी भी विद्यालय की रीढ़ की हड्डी होती है. यह केवल एक संस्था नहीं, बल्कि विद्यालय, समुदाय व अभिभावकों के बीच की महत्वपूर्ण साझेदार है. यह बातें प्रखंड मुख्यालय स्थित बीआरसी के सभाकक्ष में गुरुवार को आयोजित जिला स्तरीय विद्यालय शिक्षा समिति व विद्यालय विकास प्रबंधन समिति के सशक्तिकरण के लिए तीन दिवसीय गैर-आवासीय प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित करते हुए मास्टर ट्रेनर ने कही. इससे पूर्व इसका विधिवत उद्घाटन बीइओ दुर्गेश कुमार झा, मीडिया संभाग प्रभारी हरिश्चंद्र राम, शिक्षक विनोद कुमार विमल, चंदेश्वर राय, सोनी कुमारी, डॉली कुमारी व लेखपाल अनीश कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. वक्ताओं ने कहा कि समितियों की सक्रिय भूमिका से ही विद्यालय जन-जन से जुड़ता है. शिक्षा में वास्तविक परिवर्तन संभव होता है. कहा कि समिति सदस्यों की भागीदारी विद्यालयी माहौल को बेहतर बनाने, बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने, बालिकाओं की शिक्षा को प्रोत्साहित करने व संसाधनों के सदुपयोग को सुनिश्चित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण है. प्रशिक्षण में बताया गया कि विद्यालय केवल भवन नहीं, बल्कि एक विचार और समुदाय का सपना होता है, जो अगली पीढ़ी के जीवन की पहली पाठशाला से जुड़ा है. विद्यालय शिक्षा समितियां स्कूलों के प्रशासन, विकास और पारदर्शिता की रीढ़ है. समिति सदस्य केवल बैठकों तक सीमित न रहकर विद्यालय और समाज के बीच एक सेतु की भूमिका निभाते हैं. जब माता-पिता, शिक्षक और समुदाय साथ आते हैं तब शिक्षा में सार्थक परिवर्तन आता है. बताया गया कि 21वीं सदी के प्रतिस्पर्धी और नवाचार-प्रधान समय में तकनीक, मूल्यपरक शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य, बाल सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, सामाजिक उत्तरदायित्व व विद्यालय नेतृत्व जैसे विषय अब शैक्षिक जगत के अनिवार्य पहलू बन चुके हैं. इन नये दायित्वों को समझने व प्रभावी ढंग से निभाने के लिए यह प्रशिक्षण कार्यशाला अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी. राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर विनोद कुमार विमल ने कहा कि यह प्रशिक्षण केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि बिहार के शिक्षा तंत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. समिति सदस्य अपने नेतृत्व, जागरूकता और सक्रियता से विद्यालय को न केवल सीखने का स्थान, बल्कि एक प्रेरणास्थल भी बना सकते हैं जहां हर बच्चा सुरक्षित, सम्मानित और प्रेरित होकर अपने सपनों की ओर निर्भीकता से बढ़ सके. प्रशिक्षण में जिले के सभी प्रखंडों से चयनित शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भाग लिया.

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