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अचानक हवा की गुणवत्ता ग्रीन जोन से ऑरेंज जोन में पहुंंची

एक ओर जहां सूरज आग उगल रहा है, वहीं हवा भी अचानक से जहरीली हो गयी है.

समस्तीपुर : एक ओर जहां सूरज आग उगल रहा है, वहीं हवा भी अचानक से जहरीली हो गयी है. लोग गर्मी और वायु की खराब गुणवत्ता की दोहरी मार झेल रहे है. पूरे दिन लू चलती है. तापमान 40 डिग्री पार चला जा रहा है. अगले चार दिन तापमान के 43 दिन डिग्री सेल्सियस पर पहुंचने की संभावना है. ऐसे में लोग गर्मी के साथ-साथ खराब से भी त्रस्त हैं. शुक्रवार को समस्तीपुर शहर का एक्यूआई अचानक से पुअर जोन यानि ऑरेंज जोन में चला गया. आज एक्यूआई का स्तर 227 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा. जबकि 25 अप्रैल को शहर का एक्यूआई पूरी तरह ग्रीन जोन में था. एक्यूआई का स्तर 76 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रिकार्ड किया गया था. जो अप्रैल का सबसे बेहतर स्तर पर रहा. अप्रैल में इसके अलावा 1 अप्रैल को एक्यूआई का स्तर 91 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर रहा, वहीं 8 अप्रैल को यह 88 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर था. लेकिन अचानक हवा की गुणवत्ता खराब होकर लोगों को परेशानी बढ़ा दिया है. अप्रैल में 26 अप्रैल के अलावा हवा की गुणवत्ता 10 और 15 अप्रैल को भी ऑरेंज जोन यानि पुअर जोन में चला गया था. 10 अप्रैल को शहर का एक्यूआई 238 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा, वहीं 15 अप्रैल को एक्यूआई 215 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा. गर्मी बढ़ने के साथ ही तेज हवा के कारण वातावरण में धूल कण उड़ने लगे हैं. वहीं गेहूं की दौनी के कारण भी हवा में धूल कण की मात्रा बढ़ रही है. दूसरी ओर सड़कों पर वाहनों की तेज रफ्तार तथा वाहनों की अत्यअधिक संख्या के कारण भी वातावरण में धूल कण पहुंच रहा है.निर्माण कार्यों में भी सर्तकता नहीं बरती जा रही है. निर्माण कार्य को ढककर नहीं कराया जाता है, वहीं निर्माण कार्य की सामग्री बालू आदि भी खुले में रखे जाते हैं, इस कारण भी वातावरण में धूल कण की मात्रा बढ़ रही है. क्या कहता है एक्यूआई एअर क्वालिटी इंडेक्स हवा की गुणवत्ता को बताता है. एक्यूआई का स्तर शून्य से 50 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहने पर अच्छी हवा मानी जाती है. वहीं एक्यूआई का स्तर 51 से 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहने पर हवा को ठीक माना जाता है, हालांकि संवेदनशील लोगों को सांस की हल्की दिक्कत महसूस हो सकती है. एक्यूआई का स्तर 101 से 200 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के बीच रहने पर हवा अच्छी नहीं रह जाती है, फेफड़ा, दिल और अस्थमा के मरीजों को सांस की दिक्कत होती है. एक्यूआई का स्तर 201 से 300 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के होने पर खबरा को खराब माना जाता है, लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर किसी को भी सांस की दिक्कत हो सकती है. एक्यूआई का स्तर 301 से 400 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक होने पर हवा बहुत खराब मानी जाती है, लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर सांस की बीमारी का खतरा हो सकता है. एक्यूआई का स्तर 401 से 500 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक रहने पर हवा खतरनाक माना जाता है, पूरी तरह स्वस्थ्य आदमी पर भी बुरा असर पड़ सकता है, पहले से बीमार है तो उसे और अधिक परेशानी हो सकती है.

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