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चल रहा प्रतिनियुक्ति का खेल

सदर अस्पताल. नियमों को धत्ता बता बिचौलिये चलाते हैं मनमानी समस्तीपुर : जिले के स्वास्थ्य महकमे पर इन दिनों बिचौलियों ने कब्जा जमा लिया है. अपनी मर्जी से जिसे चाहे सदर अस्पताल से हटवा देते हैं और जिसकी तैनाती जब चाहे करवा भी देते हैं. हद यह है कि बिचौलियों के इशारों पर काम करने […]

सदर अस्पताल. नियमों को धत्ता बता बिचौलिये चलाते हैं मनमानी
समस्तीपुर : जिले के स्वास्थ्य महकमे पर इन दिनों बिचौलियों ने कब्जा जमा लिया है. अपनी मर्जी से जिसे चाहे सदर अस्पताल से हटवा देते हैं और जिसकी तैनाती जब चाहे करवा भी देते हैं.
हद यह है कि बिचौलियों के इशारों पर काम करने वाले सिविल सर्जन कार्यालय के कर्मियों द्वारा इसमें नियमों का भी ख्याल नहीं रख पाते. यहां तक कि जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष होने के नाते डीएम को भी इन नियुक्ति की सूचना नहीं दी जाती है.
इसी तरह का एक मामला प्रकाश में आया है. जब कर्मियों की किल्लत झेल रहे सदर अस्पताल से पांच ए ग्रेड एएनएम प्रेमलता सिन्हा, सरोजनी देवी, मेनका कुमारी, शोभा कुमारी और माला कुमारी की प्रतिनियुक्ति सिविल सर्जन के ज्ञापांक 482 दिनांक 13.2.15 से बिना कारण बताये रद्द कर दिया गया. फिर दस दिनों के बाद उनके ही ज्ञापांक 570 दिनांक 23.2.15 से जैनब, प्रियंका, अर्चना कुमारी और समता कुमारी की प्रतिनियुक्ति सदर अस्पताल में की गयी. मजे की बात है कि डेढ़ माह बीतने के बाद भी आज तक पांचों एएनएम को प्रतिनियुक्ति रद्द होने की सूचना नहीं दी गयी है. यहां यह बता दें कि पांच में चार एएनएम अनुबंध पर है. जानकारों का बताना है कि उनकी नियुक्ति और प्रतिनियुक्ति की सूचना डीएम को जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष होने के नाते दिया जाना है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
दवा से वंचित बिथान पीएचसी
बिथान. स्थानीय पीएचसी में मरीज को जरूरत की दवा नहीं मिलती है. इससे मरीजों को बाहर से दवा लाने की विवशता बनी है. दवा लाने के कुछ ही देर बाद मरीज को रेफर कर दिया जाता है. कई बार रोगी कल्याणी समिति की बैठक में सदस्यों ने इस संबंध में आवाज भी उठाये. लेकिन, कोई खास लाभ नहीं मिल सका. विगत दिन पूर्व बीडीओ प्रभात रंजन के साथ जनप्रतिनिधियों ने निरीक्षण किया था.
इसमें कई मरीजों ने दवा व सूई बाहर से लाने की बात उन्हें बतायी थी. वहीं 1 जनवरी 15 को प्रखंड के मालपुर गांव निवासी बिकू मुखिया की पत्नी लीला देवी ने प्रसव के बाद पुत्री को जन्म दिया था. सही ढंग से इलाज नहीं होने के कारण तीन घंटे तक पीएचसी में रखने के बाद उसे रेफर कर दिया गया.
इस क्रम में अधिक खून निकलने से उसकी मौत हो गयी. यह अस्पताल की व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है. जदयू नेता शिवशंकर यादव ने भी पूर्व सीएम जीतनराम मांझी को समस्तीपुर आने के क्रम में आवेदन देकर पीएचसी में सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की थी. प्रभारी डॉ शिवशरण लाल ने बताया कि दवा जो उपलब्ध है मरीजों को दी जा रही है. जो दवा उपलब्ध नहीं उसे उपलब्ध कराने के लिए जिला के अधिकारियों को पत्र भेजा गया है. आते ही दवा मरीजों के बीच उपलब्ध करायी जायेगी.
जिला स्वास्थ्य समिति की हो रही अनदेखी
नियमों के तहत अनुबंध पर कार्यरत कर्मियों की प्रतिनियुक्ति जिला स्वास्थ्य समिति के सचिव के द्वारा की जानी है. इसमें जिला स्वास्थ्य समिति की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है और सिविल सर्जन कार्यालय के द्वारा फैसले लेकर सिर्फ प्रतिलिपि भेजी जा रही है. जबकि जानकार बताते हैं कि जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा लिये जा रहे हर फैसले की जानकारी अध्यक्ष होने के नाते डीएम को होनी चाहिए. लेकिन सिविल सर्जन कार्यालय के द्वारा डीएम की पूरी तरह अनदेखी करते हुए उन्हें लिये गये फैसलों की प्रतिलिपि भी नहीं भेजी जा रही है.
सीएस के बाहर रहने का फायदा उठाते हैं कर्मी
सिविल सर्जन गिरिन्द्र शेखर सिंह के अधिकतर जिला मुख्यालय से बाहर रहने का फायदा भी उनके कार्यालय के कर्मी जमकर उठाते हैं. जानकारों का बताना है कि डॉ सिंह का वैशाली जिला में अपना क्लिनिक है. जहां वे नियमित रूप से अपना समय देते हैं. जानकार बताते हैं कि कर्मी इसका भरपूर फायदा उठाते हैं और अपनी मनमानी सदर अस्पताल के कर्मियों व चिकित्सक पर थोप रहे हैं.

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