दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन
सहरसा. संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से साहित्य अकादमी नयी दिल्ली एवं ईस्ट एन वेस्ट डिग्री काॅलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मैथिली साहित्य के तीन नक्षत्र ललित, राजकमल चौधरी और मायानंद मिश्र पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी कई मायने में यादगार व सफल रहा. संगोष्ठी के पहले दिन जहां मैथिली साहित्य के तीन नक्षत्र में से ललित व राजकमल चौधरी के जीवन वृत्त, मैथिली साहित्य एवं उनकी रचना पर केंद्रित वक्ताओं ने आलेख पाठ प्रस्तुत किया. वहीं संगोष्ठी के दूसरे दिन का प्रथम सत्र मैथिली साहित्य के मूर्धन्य विद्वान मायानंद मिश्र पर केंद्रित रहा. मैथिली साहित्य के विद्वान केदार कानन की अध्यक्षता व ईस्ट एन वेस्ट टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज के सहायक प्राध्यापक सह जनसंपर्क पदाधिकारी अभय मनोज एवं किसलय कृष्ण के संचालन में आयोजित सत्र के शुभारंभ से पूर्व अध्यक्ष का स्वागत ईस्ट एन वेस्ट काॅलेज समूह के चेयरमैन डॉ रजनीश रंजन ने पाग, चादर व प्रतीक चिह्न भेंट कर किया.इस मौके पर संगोष्ठी के सभी वक्ताओं का भी स्वागत व सम्मान किया गया. सत्र का शुभारंभ तिलकामांझी विश्वविद्यालय भागलपुर मैथिली विभाग की सहायक प्राध्यापक डाॅ श्वेता भारती ने मायानंद मिश्र के राजनीतिक कथा पर चित्रण करते उनके जन्म से लेकर उनके कई रचनाओं पर प्रकाश डालते आलेख प्रस्तुत किया. साहित्यकार आशीष चमन ने मायानंद मिश्र के मैथिली साहित्य बिहारी पात पाथर में चित्रित समाज पर चित्रण करते उनके उपन्यास में मिथिला के ब्राह्मण समाज की स्थिति के साथ बाल विवाह, भूख, गरीबी को दर्शाया. ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय मैथिली विभाग के विभागाध्यक्ष दमन कुमार झा ने मायानंद मिश्र की प्रसिद्ध रचना भांगक लोटा एवं मायानंद मिश्र के जीवन वृत्त पर प्रकाश डालते उनकी पहली हास्य रचना का उल्लेख करते आलेख प्रस्तुत किया.
वहीं संगोष्ठी के अंतिम सत्र में सदस्य मैथिली परामर्श मंडल साहित्य अकादमी नयी दिल्ली सह अमर उजाला के सह संपादक रमण कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित सत्र में कुमार सौरभ ने मायानंद मिश्र की कथा में मनोविश्लेषण पर चर्चा करते आलेख प्रस्तुत किया. कुमार विक्रमादित्य ने मायानंद मिश्र के ऐतिहासिक उपन्यास पर प्रकाश डालते अपना आलेख पाठ प्रस्तुत किया. मायानंद मिश्र के पौत्र किशलय कश्यप ने अपने दादा के जीवन वृत्त एवं उनके साथ बिताये गये एक-एक पल की याद दिलाते मैथिली साहित्य में उनकी लेखनी पर प्रकाश डालते आलेख प्रस्तुत किया. कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन ईस्ट एन वेस्ट डिग्री काॅलेज के सहायक प्राध्यापक किसलय कृष्ण ने किया. समापन सत्र में अपने संबोधन में चेयरमैन डॉ रजनीश रंजन ने कहा कि माया बाबू ने मैथिली मंच के लिए आदर्श अचार संहिता को स्थापित किया था. उनके जैसा लेखक व चिंतक अब संभव नहीं है. इस मौके पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ नागेन्द्र कुमार झा, जनसंचार महाविद्यालय के प्राचार्य विष्णु स्वरूप, प्राध्यापक प्रमुख डाॅ प्रियंका पांडेय, रेडियो ईस्ट एन वेस्ट के सीमा धीया, कार्यक्रम संचालिका रजनी खान, डाॅ संजय वशिष्ठ सहित अन्य मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

