हॉस्टल में रखकर बच्चों को कर रही शिक्षित सहरसा . जिले के सत्तरकटैया प्रखंड के ग्राम पंचायत पटोरी निवासी आदिवासी महिला सोनम मूर्मू ने सतत जीविकोपार्जन योजना से एक सफल उद्यमी का सफर तय किया. कभी उनके पति स्व लाल मुर्मू देसी शराब के उत्पादन एवं बिक्री के कारोबार से जुड़े थे. वर्ष 2016 में बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद उनके परिवार की आजीविका का मुख्य स्रोत बंद हो गया. पारंपरिक आदिवासी समाज से जुड़े होने के कारण शराब उनके जीवन का हिस्सा था. लेकिन अत्यधिक शराब पीने के कारण 2017 में उनके पति का निधन हो गया. पति की मृत्यु के बाद सोनम पर तीन बच्चों एवं घर की पूरी जिम्मेदारी आ गयी. खेतिहर मजदूरी करके वह किसी तरह घर चला रही थी. आर्थिक तंगी इतनी थी कि बच्चों को तीन वक्त का खाना भी सही से नहीं मिल पाता था. कभी देवर मदद कर देते तो कभी मायके से चावल आ जाता. इसी बीच उनके गांव में जीविका दीदियों द्वारा सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत उन्हें जोड़ने का प्रयास किया गया. उनकी परिस्थितियों को समझते हुए उन्हें इस योजना में शामिल किया गया एवं किराना दुकान शुरू करने के लिए कई किश्तों में एक लाख 20 हजार रुपये की सहायता दी गयी. सोनम ने किराना दुकान शुरू की एवं साथ में साड़ी व श्रृंगार का सामान भी बेचना शुरू किया. धीरे-धीरे उनका आत्मविश्वास बढ़ा एवं हाल ही में उन्होंने एक डीप फ्रीजर खरीदा. अब वह दूध, दही एवं अन्य ठंडे उत्पादों की बिक्री भी करती है. आज वह हर महीने लगभग 20 हजार रुपये की आय अर्जित कर रही है. आमदनी होने लगी तो बच्चों की पढ़ाई की ओर ध्यान गया. उन्होंने अपने तीन बच्चों में से दो को मायके में प्राइवेट स्कूल के हॉस्टल में रखकर पढ़ाई कराना शुरू कर दिया. वह अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के सपने देख रही है एवं और खुद को आत्मनिर्भर बना रही है.
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