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कृषि सखी तकनीकी को सीखें व किसानों को करें प्रेरितः डीएओ

कृषि सखी तकनीकी को सीखें व किसानों को करें प्रेरितः डीएओ

कृषि सखी के पांच दिवसीय प्रशिक्षण का हुआ शुभारंभ सहरसा . राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा प्राकृतिक खेती विषय पर कृषि सखी का पांच दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ मंगलवार को किया गया. प्रशिक्षण मुख्य अतिथि सह जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार, विशिष्ट अतिथि प्राचार्य मंडन भारती कृषि महाविद्यालय डॉ रियाज अहमद, वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ अरविंद कुमार सिन्हा एवं जिला विपणन पदाधिकारी मुकेश कुमार की उपस्थिति में किया गया. जिला कृषि पदाधिकारी ने कृषि सखी को प्राकृतिक खेती के उद्देश्य को बताते कहा कि प्राकृतिक खेती एक रसायन मुक्त पशु आधारित एवं टिकाऊ कृषि पद्धति है. जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति एवं गुणवत्ता को बढ़ता है एवं फसल वृद्धि व पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के लिए कृषि में प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करके की जाती है. उन्होंने कहा कि कृषि सखी प्राकृतिक खेती की तकनीकी को सीखें एवं इसे अपने क्षेत्र में लागू करने के लिए और ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्रेरित करें. जिससे भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित किया जा सके. मंडन भारती कृषि महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ मो रियाज अहमद ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्राकृतिक खेती की उपयोगिता पर प्रकाश डालते कहा कि आज जब जलवायु परिवर्तन, रसायनों के अत्यधिक प्रयोग एवं मिट्टी की गुणवत्ता पर प्रश्न उठ रहे हैं. ऐसे समय में प्राकृतिक कृषि समाधान बनकर उभरती है. कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ अरविंद कुमार सिन्हा ने कहा कि प्राकृतिक कृषि केवल उत्पादन का माध्यम नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है. जो मिट्टी, जल एवं पर्यावरण को सुरक्षित रखते किसानों की आय में वृद्धि कर सकती है. कृषि सखी जैसे कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं को नेतृत्व प्रदान करते हैं एवं समाज में स्थायी परिवर्तन की नींव रखते हैं. जिला विपणन पदाधिकारी मुकेश कुमार ने कहा कि कृषि सखियां अब सिर्फ प्रशिक्षित महिलाएं नहीं, बल्कि गांवों में प्राकृतिक कृषि की पथप्रदर्शक बनेंगी. हमारा उद्देश्य उन्हें इस योग्य बनाना है कि वे अपने समुदायों में बदलाव ला सकें. साथ ही पांच दिवसीय प्रशिक्षण लेकर कृषि सखी को अन्य किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित कर एक क्लस्टर का निर्माण करा सके. कोर्स कॉर्डिनेटर डॉ पंकज कुमार राय ने कृषि सखी को संबोधित करते कहा कि वह प्राकृतिक खेती के इस आंदोलन में किसानों को शामिल होने के लिए प्रेरित करें. जिससे उत्पादन लागत कम करके किसानों की आय में बढ़ोतरी करके पर्यावरण का संरक्षण हो सके. उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती को गौ आधारित खेती भी कहते हैं. इसमें एक गाय से 30 एकड़ तक की खेती की जा सकती है. क्योंकि एक एकड़ की खेती के लिए गाय के एक दिन के गोबर की ही आवश्यकता होती है. केंद्र के वैज्ञानिक मो नदीम अख्तर ने पौधों में लगने वाले कीटों को नियंत्रित करने के लिए नीम की पत्तियां, तंबाकू से प्राकृतिक अर्क बनाकर उपयोग कर कीटों के खतरे से फसल को बचाने के लिए जैविक दवाइयों पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से प्राप्त फल एवं सब्जियां रासायनिक अवशेषों से मुक्त होने के कारण उपभोक्ताओं के लिए स्वस्थ होती है. जिससे इसका जैविक उत्पाद अच्छे दाम पर बेचने से किसानों की आय में वृद्धि होती है. इस कार्यक्रम में कुल 18 कृषि सखी ने भाग लिया. जिसमें जिले के नौ प्रखंड से दो-दो कृषि सखी को चयनित किया गया है.

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