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सहरसा में हवाई अड्डा बना खेल का मैदान और मॉर्निंग वॉक की जगह, जानिए क्यों नहीं हो रहा एयरपोर्ट का सही इस्तेमाल

सहरसा हवाई अड्डे पर टहलना, खेलना और गाड़ी सीखने जैसे शौक पूरे किये जाते हैं. इसकी दीवारें टूटी हुई हैं और टूटी दीवारों पर पुताई करके विभागीय काम की इतिश्री कर दी जाती है.

सहरसा. चीन की सीमा से लगभग 400 किलोमीटर दूर स्थित सहरसा हवाई अड्डा राजनेता, छात्र, प्रवासी भारतीय और व्यापारियों की उम्मीदों का एयरपोर्ट है. कोसी के पिछड़े इलाके में शुमार तीनों जिलों के कमिश्नरी मुख्यालय के संबंध में शहरवासियों का कहना है कि यह जिला राजनीतिक छल का शिकार हो रहा है, क्योंकि यहां की आवश्यकता किसी दूसरे जिले में पूरी हो रही है. ऐसा कहने के पीछे एम्स की मांग को अनसुनी करना, मेडिकल कॉलेज, यात्री विमानों के लिए एयरपोर्ट व ओवरब्रिज की लंबित मांग एक बड़ा कारण है. इसकी भरपाई अब तक नहीं हो सकी. यहां से हवाई सफर करने वाले यात्रियों की संख्या हजारों में है, जिन्हें दरभंगा या बागडोगरा एयरपोर्ट जाना पड़ता है.

रन-वे नहीं है फिट

लगभग 50 वर्ष पूर्व निर्मित इस हवाई अड्डे की लंबाई 860 मीटर है. जीडीसीए और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अनुसार, सात सीटर विमान के लिए सुरक्षित लैंडिंग के लिए कम-से-कम 1.2 किलोमीटर में रन-वे होना चाहिए. 19 सीटर से अधिक के विमान के लिए रन-वे की लंबाई कम-से-कम डेढ़ किलोमीटर होनी चाहिए. सहरसा रन-वे के पश्चिम में 140 मीटर जमीन अधिग्रहण के लिए जिलाधिकारी ने संबंधित पदाधिकारियों को कहा है. जमीन का मुआयना डीडीसी, एसडीओ व अन्य करेंगे और रन-वे को आगे बढ़ाने व मेंटेन करने का काम आरसीडी करेगा. एयरपोर्ट की दीवारों की देखरेख भवन निर्माण विभाग करता है. फिलवक्त पश्चिम की ओर रन-वे एक किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है, जो भविष्य के लिए यात्री विमान के संचालन में भी सहायक हो जायेगा.

नहीं उतर पाये माननीय

नवंबर 2022 में जब तेजस्वी यादव का 07 सीटर विमान रनवे पर उतरा, तो रन-वे के कारण उसे खतरनाक लैंडिंग माना गया. साथ ही विमान के अगले टायर में कुछ असामान्य परेशानी महसूस होने की बात बतायी गयी. वैसे इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई, लेकिन 06 फरवरी को समाधान यात्रा में कोई हवाई जहाज इस रन-वे पर नहीं आया, जबकि इसे विभागीय स्तर पर आनन-फानन में दुरुस्त किया गया था. मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर से सहरसा आये. मालूम हो कि इस हवाई अड्डे पर टहलना, खेलना और गाड़ी सीखने जैसे शौक पूरे किये जाते हैं. इसकी दीवारें टूटी हुई हैं और टूटी दीवारों पर पुताई करके विभागीय काम की इतिश्री कर दी जाती है. सिविल एविएशन के क्षेत्र में एयरपोर्ट के लिए जमीन व कनेक्टिविटी देना राज्य सरकार का काम है. इसके बाद विमानपत्तन चालू करने की जिम्मेदारी केंद्र की होती है.

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वांछित लंबाई के लिए जमीन देखी जा रही

आरसीडी के अधीक्षण अभियंता प्रमोद कुमार का कहना है कि हवाई पट्टी को अब मेंटेन करने का काम आरसीडी करेगी. साथ ही इस रन-वे को बढ़ाने के लिए जिलाधिकारी ने संबंधित आदेश दिया है. वांछित लंबाई के लिए जमीन देखी जा रही है.

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