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रंगदारी मामले में सिम विक्रेता सहित दो गिरफ्तार

डॉक्टर से रंगदारी मांगने में प्रयुक्त सिम बेचने का है आरोप दस दिन पूर्व से ही पुलिस अपराधियों की गिरफ्तारी के लिये बिछायी थी जाल दूसरे के नाम पर सिम लेकर दी घटना को अंजाम सहरसा : डॉक्टर ब्रजेश सिंह से रंगदारी मांगने में प्रयुक्त सिम जिस दुकान से खरीदी गयी थी पुलिस ने दुकानदार […]

डॉक्टर से रंगदारी मांगने में प्रयुक्त सिम बेचने का है आरोप
दस दिन पूर्व से ही पुलिस अपराधियों की गिरफ्तारी के लिये बिछायी थी जाल
दूसरे के नाम पर सिम लेकर दी घटना को अंजाम
सहरसा : डॉक्टर ब्रजेश सिंह से रंगदारी मांगने में प्रयुक्त सिम जिस दुकान से खरीदी गयी थी पुलिस ने दुकानदार सहित उसके कर्मी को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद दोनो से लगातार पुछताछ जारी है. पुलिस मामलें के उद्भेन का दावा कर रही है. हांलाकि अभी तक सिम व मोबाइल बरामद करने में पुलिस अभी तक असफल है.
सदर एसडीपीओ वेश्म में शुक्रवार को आयोजित प्रेसवार्ता में सदर एसडीपीओ सुबोध विश्यवास व सदर थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने बताया कि मामला सामने आने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते गांधी पथ में पांडेय डिस्ट्रीब्यूटर के संचालक संतनगर निवासी राजीव रंजन व उसके साला मधेपुरा जिले के शंकरपुर थाना क्षेत्र के निवासी संतोष कुमार को गिरफ्तार कर पुछताछ शुरू कर दी. पूछताछ में गिरफ्तार युवकों ने सिम बेचने की बात स्वीकार की है.
शिक्षक के नाम पर लिया सिम : सदर एसडीपीओ ने बताया कि सिम शंकरपुर थाना क्षेत्र के राकेश झा नाम के एक शिक्षक के नाम पर लिया था. पुलिस ने उसे भी पूछताछ के लिये लाया तो उसने सिम लेने व उपयोग करने से इंकार कर दिया. जब दोनों को आमने-सामने कराया गया तो सिम विक्रेता ने भी उसे पहचानने से इंकार कर दिया. इसके बाद शिक्षक को छोड़ दिया गया. पुलिस द्वारा निकाले गये कैफ में प्रयुक्त फोटो का मिलान भी शिक्षक से नहीं हुआ.
पूछताछ में सिम विक्रेता ने बताया कि उसके पिता त्रिवेणी पांडेय बीएसएनएल में नौकरी करते थे. उन्होंने ही बीएसएनएल का फ्रेंचाइजी दिलाया था. जो गांधी पथ में पांडेय डिस्ट्रीब्यूटर के नाम से है. इसी दौश्रान कार्य को बढ़ावा देने के लिए रहुआ चौक के पता पर वोडाफोन का फ्रेंचाइजी हैल्लो सेंटर के नाम से लिया. लेकिन वह रहुआ चौक पर नही चलकर गांधी पथ में ही चला रहा था. रहुआ गिरफ्तार राजीव का पैतृक घर है.
दस दिन पूर्व ही होता उद्भेन : पुलिस सुत्रों के अनुसार मामलें का उद्भेन दस दिन पूर्व ही हो जाता. लेकिन कुछ कारणवश नही हो पाया. जनकारी के अनुसार पहली बार रंगदारी का मामला सामने आने के बाद से ही पुलिस मामलें के पुर्ण उद्भेन में लगी थी. पूर्व में जिस नंबर से रंगदारी मांगी गयी थी जो पुलिस के हाथ नहीं लगी थी. उस नंबर को पुलिस बरामद नही कर पायी थी.
डॉ ब्रजेश सिंह के वाहन पर गोलीबारी के बाद आयी मिसड कॉल के बाद पुलिस फिर कार्रवाई के मूड में आ गयी. लेकिन जबतक पुलिस अपराधी के पास पहुंचती उस सिम को मोबाइल से खोल दूसरा सिम लगा लिया. पुलिस को सुचना मिलते ही पुलिस ने एक टीम का गठन कर छापेमारी के लिये शंकरपुर भेजा. जहां राकेश झा से पुलिस ने पूछताछ भी की थी.

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