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गरीबों की गाड़ी : राजा जैसी सवारी

गरीबों की गाड़ी : राजा जैसी सवारीकोसी क्षेत्र में आज भी घोड़ा गाड़ी बेरोजगारी दूर करने व सामाजिक विकास में सहायक है. सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों की अभी भी यह मुख्य सवारी है. लोग हाट बाजार से सामान खरीद घोड़ा गाड़ी पर लाद घर तक पहुंचते हैं. सहरसा जिले के खोजूचक के समीप एनएच 107 पर […]

गरीबों की गाड़ी : राजा जैसी सवारीकोसी क्षेत्र में आज भी घोड़ा गाड़ी बेरोजगारी दूर करने व सामाजिक विकास में सहायक है. सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों की अभी भी यह मुख्य सवारी है. लोग हाट बाजार से सामान खरीद घोड़ा गाड़ी पर लाद घर तक पहुंचते हैं. सहरसा जिले के खोजूचक के समीप एनएच 107 पर चालक घोड़ा गाड़ी पर कुर्सी पर सवार हो खुद को राजा महसूस कर रहे हैं.फोटो।प्रभात खबरकोसी कछार : जानवरों से प्यार या गरीबी की मारकोसी कछार पर एक गांव है कबैया. यह सहरसा जिले के सलखुआ अंचल में पड़ता है. इस गांव में सिर्फ महादलितों की आबादी है. गांव के वयस्क महिला-पुरुष धनकटनी में व्यस्त हैं. ऐसे में जानवरों की देखभाल का जिम्मा बच्चों पर ही है. परिवार के लिए रोटी की जुगाड़ में ये जानवर भी तो सहायक हैं. नंग-धड़ंग अनपढ़ बच्चे शनिचर सादा व मिथुन सादा पूर्वी कोसी तटबंध के 114वें किलोमीटर के समीप मवेशी चरा रहे हैं. यह इनकी दिनचर्या में शुमार है.फोटो । अजय कुमार

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