सिमरी बख्तियारपुर: अनुमंडल स्थापना दिवस 22 सितंबर की जगह अब 28 सितंबर को मनाने का निर्णय लिये जाने पर क्षेत्र में मिश्रित प्रतिक्रिया शुरू हो गयी है. कोई इसे उचित ठहरा रहा है, तो कोई अनुचित. एक राजनीतिक पार्टी ने उक्त निर्णय के विरोध में 24 सितंबर को अनुमंडल कार्यालय के समक्ष धरना देने का एलान कर दिया है.
कोई इसे अफसरशाही तो कोई राजनीतिकरण की बातें कह रहा है. भाकपा माले के राजकुमार चौधरी ने कहा कि अनुमंडल स्थापना दिवस पर पदाधिकारियों द्वारा सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. जब 22 सितंबर को अनुमंडल स्थापना दिवस की तिथि तय है तो 28 सितंबर को मनाने का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने कहा कि बिहार दिवस, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती आदि की तिथि जब किसी भी परिस्थिति में बदल नहीं सकती है तो अनुमंडल स्थापना दिवस की तिथि किस संविधान के तहत बदली गयी. इसके विरोध में 24 सितंबर को धरना देने की घोषणा की गयी है. अधिवक्ता रतन कुमार का कहना है कि स्थापना दिवस 22 सितंबर को ही मनाना चाहिए. विकास के दावेदार जनप्रतिनिधियों के आत्म विेषण का समय है कि क्षेत्र विकास से वंचित क्यों है. स्थापना दिवस पर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय है. अधिवक्ता किशोरी प्रसाद केसरी का कहना है कि स्थापना दिवस 28 सितंबर को मनाना समझ से पड़े है. इनका कहना है कि अनुमंडल का जन्म दिन नहीं बल्कि छठी का दिन मनाया जायेगा. इंटर नेशनल श्रोता क्लब के सचिव आजाद कुमार गुप्ता का कहना है कि गत दो वर्षो से 22 सितंबर को स्थापना दिवस मनाया गया. चूंकि इसी तिथि को अनुमंडल अस्तित्व में आया. किसी भी अस्तित्व की तिथि को बदलना गैर संवैधानिक है. हरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि ऐसा करने से क्षेत्र की जनता की भावनाओं पर ठेस पहुंचेगी. स्थापना दिवस की गरिमा को बनाये रखना हमलोगों का कर्तव्य है.
केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष ललन कुमार भगत उर्फ पप्पू ने कहा कि अनुमंडल को दर्जा मिले 21 वर्ष हो गये. लेकिन दिवस मनाने की याद 19 वें वर्ष में आयी. 18 वर्ष तक अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि के उपेक्षा का शिकार होता रहा. बावजूद 28 सितंबर को मनाने का निर्णय कतई उचित नहीं है. अगर ऐसा किया जाता है, तो भविष्य में इसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ सकता है. ब्लॉक चौक के अनुज कुमार ने कहा कि तिथि कोई भी हो, अन्य वर्षो की भांति स्थापना दिवस मनाना अनुमंडल वासियों को गर्व महसूस होगा. प्राकृतिक आपदा के पूर्वानुमान से तिथि बदलना कोई गुनाह नहीं है. मुखिया प्रतिनिधि एस कुमार का कहना है कि जब प्रत्येक वर्ष 22 सितंबर को मनाया जाता है, तो इस वर्ष भी उसी तिथि को मनानी चाहिए. निश्चित तिथि में फेरबदल नहीं होनी चाहिए. अन्यथा अनुमंडल वासियों के हृदय पर चोट पहुंचेगी. जब तिथि निर्धारित है तो किसी भी प्रकार की समस्या आने पर भी निर्धारित तिथि पर ही होनी चाहिए.