पेशी के लिए कोर्ट आये थे पूर्व सांसद
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अच्छा होता हम लोगों को फांसी या गोली मार दी जाती : आनंद मोहन
पेशी के लिए कोर्ट आये थे पूर्व सांसद मंडल कारा में मानवाधिकार का खुल कर हो रहा है हनन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से दुर्व्यवहार व जेल मैनुअल की अनदेखी की शिकायत करने की जांच की मांग सहरसा : गुरुवार को एक पुराने मामले में स्थानीय कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचे जेल में बंद पूर्व […]
मंडल कारा में मानवाधिकार का खुल कर हो रहा है हनन
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से दुर्व्यवहार व जेल मैनुअल की अनदेखी की शिकायत करने की जांच की मांग
सहरसा : गुरुवार को एक पुराने मामले में स्थानीय कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचे जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन ने पेशी के बाद स्थानीय मंडल कारा में व्याप्त भ्रष्टाचार व कुव्यवस्था पर प्रतिक्रिया दी. कैदियों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को अबतक का सबसे अमानवीय व मानवाधिकार का हनन बताया. उन्होंने कहा कि वर्तमान मंडल कारा अधीक्षक द्वारा जेल मरम्मत के नाम पर पिछले दिनों पूर्णिया मंडल कारा भेज कैदियों को प्रताड़ित किया गया. वहां पहुंचने के बाद उन पर लाठियां बरसायी गयीं,
यह एक जेल अधीक्षक द्वारा खुल्लम-खुल्ला कैदियों के साथ मानवाधिकार का हनन करने की बात है. उन्होंने कहा कि जेल मरम्मत के नाम पर बिना टेंडर के लूट हुई. मरम्मत का काम तो मंडल कारा पूर्णिया में चल रहा था. जहां पहले से चौदह सौ कैदी थे. उसके बावजूद तीन सौ कैदी को सहरसा जेल से चुन-चुन कर तेरह अगस्त की सुबह पौने चार बजे बिना नित्य क्रिया कराये लुंगी गंजी में ही पूर्णिया जेल भेज दिया गया.
उन्होंने कैदियों को डरा धमका के उनका दोहन कर चालीस से पचास लाख की जबरन उगाही का कारा अधीक्षक पर आरोप लगाया. उन्होंने मंडल कारा अधीक्षक पर आरोप लगाते हुए जेल में बंद बबुआ झा को कान में दर्द होने की शिकायत पर उस कैदी के कान में तमाचा जड़ उसके कान का पर्दा फाड़ देने की बात कही. पूर्व सांसद ने कहा कि और भी कई ऐसे कैदी हैं
अच्छा होता हम…
जिन्हें अस्पताल से इलाज के दौरान जेल भेज दिया गया. उन्होंने मंडल कारा अधीक्षक पर कैदियों के सामान को जलाने का गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि पूर्णिया जेल में अनशन के बाद जब उन्हें सहरसा जेल लाया गया तो देखा कि जिस मरम्मत के नाम पर उन्हें अपने वार्ड से बाहर के जेल में भेजा गया, उस वार्ड में मरम्मत का काम नहीं हुआ है. पूर्व सांसद ने कहा कि कोर्ट से अब वे फरियाद करेंगे कि इससे अच्छा उन्हें कोर्ट के बाहर फांसी दे दें या सरेआम गोली ही मरवा दें. आजादी के सत्तर सालों में उन्होंने इस तरह का मानवाधिकार का हनन करते कभी किसी को नहीं देखा है.
उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से कैदियों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार व जेल मैनुअल की अनदेखी की शिकायत करते इसकी जांच की मांग की. पूर्व सांसद के साथ जेल में बंद अनिल कुमार यादव, अमरजीत यादव सहित एक दर्जन से अधिक कैदियों ने अपना हस्ताक्षर कर मंडल कारा अधीक्षक के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से शिकायत कर जांच की मांग की है.
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