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विदेशी मां ने अनाथ बच्ची को लिया गोद
सहरसा में जिस बच्चे को उसके मां-बाप ने 2012 में अपने से अलग कर दिया था, वह आज बेल्जियम की एकल मां के घर की दुलारी बन गयी. सहरसा : दूर देश से बच्चे की चाहत लिए सहरसा पहुंची बेल्जियम निवासी एकल माता नीलेश सांद्रा को शनिवार को कोसी चौक स्थित दत्तक ग्रहण संस्थान में […]
सहरसा में जिस बच्चे को उसके मां-बाप ने 2012 में अपने से अलग कर दिया था, वह आज बेल्जियम की एकल मां के घर की दुलारी बन गयी.
सहरसा : दूर देश से बच्चे की चाहत लिए सहरसा पहुंची बेल्जियम निवासी एकल माता नीलेश सांद्रा को शनिवार को कोसी चौक स्थित दत्तक ग्रहण संस्थान में जेजेबी के प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट मनीष कुमार, बाल संरक्षण पदाधिकारी भास्कर कश्यप, बिजली प्रकाश, अधिवक्ता एसपी सुमन व संस्थान के प्रबंधक श्वेता झा ने सभी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद संयुक्त रूप से उन्हें बच्ची सुपुर्द किया. प्रबंधक ने बताया कि वर्ष 2012 में यह बच्ची में पूर्णिया गृह में संरक्षित करवायी गयी थी.
डेढ़ वर्ष पूर्व पूर्णिया गृह से सहरसा में संरक्षित करवाया गया था. उन्होंने बताया कि बेल्जियम में एक एनजीओ के प्रबंधक पद पर कार्यरत नीलेश सांद्रा ने बेवसाइट पर बच्चे की चाहत की बात कही. इसके बाद उन्हें कई बच्चों की प्रोफाइल दी गयी. इसमें उन्होंने सहरसा से पांच वर्षीय बच्ची लेने की इच्छा जाहिर की. कागजी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद उन्हें बच्ची सुपुर्द किया गया.
गोद लेने की भी है व्यवस्था
दत्तक गृह संस्थान की प्रबंधक ने बताया कि यहां से लोग बच्चे को गोद भी ले सकते हैं. उन्होंने बताया कि किसीबच्चे को परिवार प्रदान करने के इच्छुक दंपती उसे गोद ले सकते हैं. किशोर न्याय अधिनियम 2000 के अंतर्गत भी अनाथ बच्चों को गोद लिया जा सकता है.
इसके लिए गोद लेने वाले माता-पिता की आय का उचित और नियमित श्रोत होना चाहिए.
दंपती में किसी को भी गंभीर बीमारी न हो, आपराधिक रिकार्ड नहीं हो. एकल माता-पिता भी बच्चे को गोद ले सकते हैं. प्रबंधक श्वेता ने बताया कि गोद लेने के लिए डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट एडोप इंडिया डॉट एनआइसी डॉट इन पर पंजीकरण करायें.
दत्तक ग्रहण एजेंसी ग्रहण की पूर्ण जानकारी देकर आपकी आशंकाओं को दूर करेगी. एजेंसी के कार्यकर्ता आपके घर जाकर आपकी सामाजिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि का आकलन करेंगे. इसके बाद एजेंसी एक योग्य बच्चे को चिह्नित कर आपको स्वीकृति के लिए देगी, यदि आपको बच्चा पसंद हो गया तो आप अपने पसंद के चिकित्सक से चिकित्सीय परीक्षण करा सकते हैं. कानूनी कार्रवाई प्रारंभ होने के साथ ही आप बच्चे को प्री एडोप्सन में ले जा सकते हैं.
तीन बच्चे अब तक जा चुके हैं विदेश
प्रबंधक ने बताया कि संस्थान से तीन बच्चे विदेश जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि इससे पूर्व एक बच्चा अमेरिका, दूसरा माल्टा जा चुका है. तीसरा बेल्जियम जा रहा है. कुछ दिन बाद एक बच्चा कनाडा जायेगा. प्रबंधक ने कहा कि किसी भी सूरत में बच्चों को अपने से अलग न करें. यदि विषम परिस्थिति में आप बच्चों को रखने में असमर्थ हैं, तो बच्चों को कहीं फेंके नहीं, बल्कि दत्तक गृह को सौंप दे.
शून्य से छह वर्ष तक के बच्चों को सभी सुविधा के साथ यहां रखने की व्यवस्था है. उन्होंने बताया कि यदि किसी कारणवश कोई अपने बच्चे को संस्थान के सुपुर्द करते हैं, तो उनका नाम गोपनीय रखा जायेगा. वहीं यदि कोई बच्चा कहीं भटक रहा है, तो उसे भी कोई व्यक्ति संस्थान को सूचना देकर सुपुर्द कर सकता है. सभी थानाध्यक्ष बाल कल्याण पदाधिकारी होते हैं. वह भी ऐसे बच्चों को संस्थान में भर्ती करा सकते हैं.
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