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तीन तलाक से आजादी का फैसला ऐतिहासिक

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को किसी ने सराहा, किसी ने किया नजर अंदाज सहरसा : मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक के मुद्दे को असंवैधानिक करार देने एवं केंद्र सरकार को इस पर कानून बनाने के आदेश देने पर लोगों ने हर्ष जताया है. मुस्लिम संप्रदाय के लोगों ने भी इसकी सराहना करते कहा […]

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को किसी ने सराहा, किसी ने किया नजर अंदाज

सहरसा : मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक के मुद्दे को असंवैधानिक करार देने एवं केंद्र सरकार को इस पर कानून बनाने के आदेश देने पर लोगों ने हर्ष जताया है. मुस्लिम संप्रदाय के लोगों ने भी इसकी सराहना करते कहा कि अब इस संप्रदाय की महिलाएं भी आजाद हो गयी हैं. हालांकि काफी कम लोगों ने कोर्ट के इस निर्णय पर ऐतराज जताया है. पूर्व विधायक संजीव कुमार झा ने कहा कि तीन तलाक को खत्म करने का उच्चतम न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक है.
आज की तारीख एक नई आजादी के रूप में लिखी जायेगी. तीन तलाक को असंवैधानिक व अमानवीय कृत्य बता इस कुप्रथा को खत्म कर सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. यह काम बहुत पहले होना चाहिए था. लेकिन वोट की राजनीति की खातिर नहीं किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि नेता को यह समझना चाहिए कि मुस्लिम महिलाएं भी वोट करती हैं. इसका श्रेय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है.
मर्द के हाथ की कठपुतली थी महिला: पूर्व जिला पार्षद प्रवीण आनंद ने कहा कि तीन तलाक की दकियानूसी प्रथा के कारण मुसलिम महिलाएं कल तक गुलाम थी. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद आज से आजाद हो गयी. इस प्रथा ने उसे हाथ का कठपुतली बना कर रख दिया था. भाजपा नेता रफत परवेज ने कहा कि कोर्ट का निर्णय ऐतिहासिक व स्वागतयोग्य है. यह समाज के महिलाओं के हक की बात है. कोर्ट के निर्णय के बाद मुस्लिम महिलाएं में भी बराबरी का स्वाभिमान जगेगा. उन्होंने कहा कि भारत हर रोज एक नया सामाजिक इतिहास रच रहा है.
करना चाहिए धर्म का सम्मान :
जदयू के मो मोहीउद्दीन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को धर्म का सम्मान करते उसी आलोक में निर्णय लेना चाहिए. राजद जिलाध्यक्ष जफर आलम ने कहा कि इस्लाम का कानून कुरान और हदीस के हिसाब से निर्धारित है. उसमें फेरबदल की गुंजाइश नहीं है. भारत में सभी धर्म को अपने हिसाब से जीने की आजादी है. महिलाओं को कंट्रोल करने के लिए मर्द को तीन तलाक देने का अधिकार दिया गया है. नहीं तो महिलाएं गलत रास्ते पर भटक जाती है. महिलाओं में नियम कानून से चलने का भय बना रहे, वह उद्दंड न हो. इसके लिए तीन तलाक का अधिकार जरूरी है.

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