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सहरसा : समय पर जांच और आधुनिक उपचार से संभव है स्तन कैंसर का पूर्ण उपचार : डॉ. अभिषेक आनंद 

सहरसा : नारायणा कैंसर सेंटर के निदेशक एवं पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल के कैंसर रोग के निदेशक डॉ. अभिषेक आनंद ने बताया कि "स्तन कैंसर का इलाज आज के दौर में पूरी तरह संभव है, बशर्ते मरीज समय पर जांच करवाएं और सही उपचार लें.

सहरसा : स्तन कैंसर आज देश ही नहीं, पूरी दुनिया में महिलाओं के बीच सबसे आम कैंसर के रूप में उभर रहा है. यदि इसका निदान शुरुआती अवस्था में हो जाए, तो मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है. यही कारण है कि अब चिकित्सा संस्थान और डॉक्टर इस दिशा में जागरूकता बढ़ाने पर विशेष बल दे रहे हैं. नारायणा कैंसर सेंटर के निदेशक एवं पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल के कैंसर रोग के निदेशक डॉ. अभिषेक आनंद ने बताया कि “स्तन कैंसर का इलाज आज के दौर में पूरी तरह संभव है, बशर्ते मरीज समय पर जांच करवाएं और सही उपचार लें. आधुनिक तकनीकों और टारगेटेड थेरेपी ने कैंसर उपचार की दिशा ही बदल दी है.” 

स्तन कैंसर के मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं —

* हार्मोन पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर, जिसका इलाज हार्मोनल थेरेपी से किया जाता है.

* HER2 पॉजिटिव कैंसर, जिसमें टारगेटेड थेरेपी से बेहतरीन परिणाम मिलते हैं.

* ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर, जिसका प्रमुख उपचार कीमोथेरेपी है.

लक्षण और पहचान 

स्तन या बगल में गांठ का महसूस होना, निप्पल से स्राव या रक्तस्राव, तथा स्तन के आकार या त्वचा में अचानक बदलाव. ये सभी स्तन कैंसर के शुरुआती संकेत हो सकते हैं. ऐसे में समय पर जांच और चिकित्सकीय सलाह बेहद जरूरी है.

आधुनिक उपचार अधिक सटीक और कम दर्दनाक 

आधुनिक उपचार में प्रगति के बारे में डॉ. आनंद ने बताया कि आज कैंसर का इलाज पहले की तुलना में कहीं अधिक सटीक और कम दर्दनाक हो गया है. अब ब्रेस्ट कंजर्वेशन सर्जरी, रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, टारगेटेड और इम्यूनोथेरेपी जैसी उन्नत तकनीकें उपलब्ध हैं, जिनसे मरीजों को नया जीवन मिल रहा है.

रोकथाम और स्वयं परीक्षण की भूमिका 

डॉ . आनंद ने अपील की कि हर महिला को महीने में एक बार स्वयं स्तन परीक्षण (Self Breast Examination) करवाएं. 40 वर्ष की आयु के बाद नियमित रूप से मैमोग्राफी जांच कराना आवश्यक है, जिससे कैंसर को शुरुआती अवस्था में ही पहचाना जा सके. बता दें नारायणा कैंसर सेंटर के निदेशक एवं पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल के कैंसर रोग के निदेशक डॉ. अभिषेक आनंद ने कैंसर पर कई शोध कार्य किए हैं और अपने शोध निष्कर्ष विभिन्न देशों में प्रस्तुत भी किए हैं. उनके अनुसार जागरूकता ही सबसे बड़ी दवा है. यदि महिलाएं अपने शरीर में छोटे-से बदलाव को भी गंभीरता से लें, तो कैंसर से डरने की नहीं, उससे जीतने की जरूरत है.” 

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