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मोटी कमाई के चक्कर में जेनेरिक दवाओं की उपेक्षा

सासाराम शहर : सस्ती चिकित्सा सेवा के लिए बाजार में लायी गयी जेनेरिक दवाओं का आम लोगों को कोई फायदा नहीं हो रहा है. हालांकि, इस दवा की बिक्री कर दुकानदार व झोलाछाप चिकित्सक मालामाल हो रहे हैं. दवा के रैपर में प्रिंटेड कीमत व जानकारी के अभाव में आम लोग इसका लाभ उठा नहीं […]

सासाराम शहर : सस्ती चिकित्सा सेवा के लिए बाजार में लायी गयी जेनेरिक दवाओं का आम लोगों को कोई फायदा नहीं हो रहा है. हालांकि, इस दवा की बिक्री कर दुकानदार व झोलाछाप चिकित्सक मालामाल हो रहे हैं.
दवा के रैपर में प्रिंटेड कीमत व जानकारी के अभाव में आम लोग इसका लाभ उठा नहीं पाते हैं. मोटी कमाई के चक्कर में बड़े चिकित्सक भी ब्रांडेड कंपनियों की दवाएं ही लिखते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जेनेरिक दवाओं की बिक्री को बढ़ावा देने व इसके लिए कानून बनाये जाने की घोषणा का भी कोई असर नहीं दिख रहा है. उनकी घोषणा से एकबारगी तो ऐसा लगा था कि इससे आम लोगों को फायदा होगा. चिकित्सा सेवा सस्ती होगी तो इलाज के लिए गरीबों की जेब पर पड़ने वाला बोझ कम होगा. साथ ही बेहतर स्वास्थ्य सेवा भी मिलेगी, लेकिन अब तक ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा है. चिकित्सकों द्वारा जेनेरिक दवा नहीं लिखे जाने के मरीज महंगे दामों पर ब्रांडेड दवाओं को खरीदने पर मजबूर है. दवा व्यवसायियों के अनुसार, दुकान में सभी प्रकार की दवाएं रखना उनकी मजबूरी है. दुकान में जिस दवा की खोज की जायेगी वह लोगों को उपलब्ध कराना जिम्मेवारी है. दवा दुकानदार नीरज कुमार के अनुसार उनकी दुकान में जेनरिक दवा है.
इसके लिए वह लोगों को प्रोत्साहित भी करना चाहते हैं, परंतु चिकित्सक विभिन्न कंपनियों की महंगी दवाएं लिखते हैं. चिकित्सकों के पर्चे के अनुसार ही लोगों का दवा उपलब्ध कराना है. वहीं संजय कुमार ने कहा कि जेनरिक दवा सस्ती होती है, लेकिन डॉक्टर उसे लिखते हीं नहीं है. एक दवा दुकानदार ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जेनरिक दवाओं पर चिकित्सक द्वारा जोर नहीं दिया जाता है. उन्होंने कहा कि चिकित्सक बड़ी कंपनियों की महंगी दवा ही अधिक लिखते हैं.
मूल्यों में अंतर का कारण : ब्रांडेड कंपनियों की दवा की बिक्री के लिए कंपनियां व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार करती है.भारी भरकम सैलरी पर दवा विक्रय प्रतिनिधि से मार्केटिंग कराती हैं. दवा की बिक्री के लिए चिकित्सकों को गिफ्ट के साथ मोटा कमीशन दिया जाता है. ऐसे में जेनेरिक दवा के बदले चिकित्सक ब्रांडेड कंपनी की दवा मरीजों को लिखते हैं. जेनेरिक दवा सस्ता होने का कारण इसका न तो प्रचार-प्रसार होता है न ही दवा विक्रय प्रतिनिधि इसकी मार्केटिंग करते हैं. दवा कंपनी से सीधे डिस्ट्रीब्यूटर फिर खुदरा दुकानदारों के पास बिक्री के लिए पहुंचते है.

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