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बेटों से आगे निकल रही हैं गांव की बेटियां

नासरीगंज (रोहतास) : प्रखंड की सभी बारहों पंचायतों के गांव की बेटियां शहर की लड़कियों की तरह टेक्नो फ्रेंडली बनती जा रही हैं. बेटियों के लिए चूल्हा फूंकना जमाने बीतने की बात हो गयी. सरकार के द्वारा बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ योजना पर बेटियों ने अमल कर हालात बदला है. रसोई घर से बाहर […]

नासरीगंज (रोहतास) : प्रखंड की सभी बारहों पंचायतों के गांव की बेटियां शहर की लड़कियों की तरह टेक्नो फ्रेंडली बनती जा रही हैं. बेटियों के लिए चूल्हा फूंकना जमाने बीतने की बात हो गयी. सरकार के द्वारा बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ योजना पर बेटियों ने अमल कर हालात बदला है.

रसोई घर से बाहर निकलकर बेटियां अपने गांव से कुछ किलोमीटर दूर कुशल विकास केंद्र से जुड़ रही है. नासरीगंज प्रखंड परिसर में बिहार कुशल केंद्र के तहत खुले कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर में गांव-गांव की बेटियां उत्साह से पहुंच रही है और कंप्यूटर से जुड़ी प्रत्येक जानकारियां हासिल कर रही हैं. पहले गांव की बेटियां मैट्रिक में पास कर ज्यादा- से- ज्यादा इंटर की पढ़ाई करती थी.
उसके बाद घर बैठ जाती थी. अब वे पढ़ाई छोड़ने के बाद या इंटर एवं ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हुए खुद को दक्ष बना रही है. बेटियों की मंशा कंप्यूटर में दक्षता हासिल कर सरकारी या प्राइवेट नौकरी हासिल कर अपना भविष्य संवारने एवं भविष्य में कंप्यूटर आधारित स्वरोजगार खड़ा करना है ताकि अपनी जरूरतों के लिए किसी का मुहताज न रहे.
क्या कहती हैं बेटियां
पैसे के अभाव में पूरी नहीं
हो पाता मेरा लक्ष्य
आशा कुमारी का कहना है कि पैसे के अभाव में पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती है हमारी इसलिए हम अपने लक्ष्य से दूर रह जाती हूं. मुझे पढ़ाने के लिए मेरी पूरी परिवार तैयार है पर पैसे के कारण मेरा परिवार लाचार है.
जिन्ना गांव की हरेंद्र सिंह की बेटी आरती कुमारी ने फोर्स ज्वाइन कर देश की सेवा करने की ठान रखी है. उसने कहा कि अब समय हाईटेक हो गया है. सारे ऑफिस पेपरलेस हो रहे हैं. अपने पापा- मम्मी से परमिशन लिया तो उन्होंने कंप्यूटर ट्रेनिंग के लिए हामी भर दी.

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