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माह में एक दिन खुलता है आंगनबाड़ी केंद्र

लापरवाही . आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 146 के बच्चों को नहीं मिलता है लाभ कोइलवर के सुरौंधा टापू पर नहीं पहुंचते हैं जांच के लिए अधिकारी कोइलवर : प्रखंड के वार्ड नंबर-11 का एक ऐसा हिस्सा है, जहां महीने में एक या दो दिन के लिए ही आंगनबाड़ी केंद्र खुलता है. वो भी रजिस्टर को मेंटेन […]

लापरवाही . आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 146 के बच्चों को नहीं मिलता है लाभ

कोइलवर के सुरौंधा टापू पर नहीं पहुंचते हैं जांच के लिए अधिकारी
कोइलवर : प्रखंड के वार्ड नंबर-11 का एक ऐसा हिस्सा है, जहां महीने में एक या दो दिन के लिए ही आंगनबाड़ी केंद्र खुलता है. वो भी रजिस्टर को मेंटेन करने या बिना पोषाहार वितरण के ही मासिक बैठक का स्थानीय लोगों से हस्ताक्षर के लिये. वार्ड के इस स्थान पर पहुंचने के लिए पटना जिले के बिहटा थाना क्षेत्र के परेव से बाइक से जाना पड़ता है. इसके अलावे नदी के रास्ते नाव से भी लोग जाते हैं. टापू पर आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहने के कारण बच्चों को मिलनेवाली बुनियादी शिक्षा पूरी तरह चौपट हो गयी है. इससे यही अनुमान लगाया जा सकता है कि लगभग आठ सौ की जनसंख्या वाले टापू पर लगभग छह दर्जन बच्चे हैं, जिन्हें किताब व स्कूल के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है.
आंगनबाड़ी केंद्र पर मिलनेवाली सुविधाओं से वंचित हैं लाभुक : स्थानीय बच्चों व गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए कई तरह की योजनाएं चल रही है, लेकिन सुरौंधा टापू के लाभुक को कोई सुविधा नहीं मिलती है. केंद्र पर पढ़नेवाले बच्चे के एमडीएम, गर्भवती महिलाओं व छोटे बच्चों का पोषाहार समेत किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं मिलती है. उन्हें तो केंद्र पर मिलनेवाली सुविधाओं के बारे में जानकारी भी नहीं है. टापू पर रहनेवाले लोगों की माने तो टापू पर स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 146 लगभग 250 दिनों से नहीं खुला है. केंद्र पर लाभुकों की संख्या सिर्फ रजिस्टर में है.
बोर्ड पर अंकित मोबाइल नंबर लग रहा गोपालगंज : प्रभात खबर की टीम जब पड़ताल करते हुए सुरौंधा टापू पर पहुंची तो केंद्र पर एक वृद्ध मिले, जो सेविका के ससुर थे. उन्होंने कहा कि केंद्र खुलता है. उन्होंने बताया कि केंद्र पर प्रतिदिन 35 बच्चे आते हैं, लेकिन आज कोई नहीं आया है. केंद्र पर केंद्र संख्या समेत एक बोर्ड लगा था, जिस पर सेविका पुष्पा देवी व सहायिका मीना देवी अंकित था. बोर्ड पर दिये गये नबंर पर कॉल करने पर गोपालगंज में लग रहा था.
जांच के लिए पदाधिकारी हो या प्रतिनिधि कोई नहीं आता : सोन के बीचोबीच सुरौंधा टापू पर शायद ही कोई पदाधिकारी पहुंचता हो. स्थानीय लोगों ने बताया कि टापू पर पुलिस को छोड़ कोई भी पदाधिकारी के दर्शन नहीं होते हैं, जिसे भी केंद्र का सही संचालन नहीं होने का कारण बताया जाता है. केंद्र की महिला सुपरवाइजर भी कोइलवर कार्यालय में बैठ फाइलों का निबटारा कर देती है. टापू के बारे में विधायक हो या सांसद उन्हें जानकारी भी नहीं होगी कि कोइलवर नगर में एक ऐसा स्थान है, जहां लोगों को कोई सुविधा नहीं मिलती. हालांकि टापू पर हाल के दिनों में 70 साल के इतिहास में पहली बार कोइलवर पुलिस ने उनके साथ बैठकर दुःख-दर्द को सुना, तो लोगों ने नहीं मिलनेवाली बुनियादी सुविधाओं की झड़ी लगा दी.
केंद्र पर क्या-क्या मिलती हैं सुविधाएं
सरकार की ओर से प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र पर 40 नामांकित बच्चों के साथ-साथ 96 लाभुकों को पोषाहार का लाभ दिया जाता है. आंगनबाड़ी केंद्र पर तीन से छह वर्ष के 40 बच्चे नामांकित हैं, जिनको सहायिका द्वारा नियमित पढ़ने के लिए बुलाया जाता है. जिन्हें केंद्र पर पका हुआ भोजन कराया जाता है. वहीं 0 से 3 साल तक के 40 बच्चों को पोषाहार दिया जाता है. साथ ही आठ गर्भवती व आठ धातृ महिलाओं को पोषाहार देने का प्रावधान है. इसमें चार से छह साल तक के बच्चे को महीने में दो किलो 5 सौ ग्राम चावल, सवा किलो दाल व तीन सौ पचास ग्राम सोयाबीन दिया जाता है. केंद्र पर पोषक क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं को तीन किलो चावल, डेढ़ किलो दाल व चार सौ ग्राम सोयाबीन महीने में पोषाहार वितरण के दिन देने का प्रावधान है.

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