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नक्सली हरि यादव के नेतृत्व में पहाड़ी पर दस्ता!
2011 से पहले एरिया कमांडर राणा यादव का रहा है सबसे खास सहयोगी सासाराम नगर : जिले में कैमूर पहाड़ी पर हार्डकोर हरि यादव के नेतृत्व में नक्सली दस्ता घुम रहा है. हरी यादव नक्सली संगठन एमसीसी का पुराना सदस्य है. वर्ष 2011 से पहले एरिया कमांडर राणा यादव का सबसे खास सहयोगी हरि यादव […]
2011 से पहले एरिया कमांडर राणा यादव का रहा है सबसे खास सहयोगी
सासाराम नगर : जिले में कैमूर पहाड़ी पर हार्डकोर हरि यादव के नेतृत्व में नक्सली दस्ता घुम रहा है. हरी यादव नक्सली संगठन एमसीसी का पुराना सदस्य है.
वर्ष 2011 से पहले एरिया कमांडर राणा यादव का सबसे खास सहयोगी हरि यादव को माना जाता था. उस समय कैमूर पहाड़ी पर एमसीसी का वर्चस्व था. नवंबर, 2011 में एसपी मनु महाराज की रणनीति पर अजय राजभर व टीम ने धोखे से राणा यादव की हत्या कर दी. उसके बाद हरी यादव जान बचाने के लिए भाग निकला. अजय राजभर ने हत्या के बाद अपनी टीम के साथ पुलिस के समझ सरेंडर कर दिया.
वर्ष 2015 में जेल से रिहा होने के बाद अजय राजभर व अनिल कुशवाहा की टीम टीपीसी का गठन कर कैमूर पहाड़ी पर अपरा साम्राज्य स्थापित कर लिया. मार्च, 2017 तक कैमूर पहाड़ी पर टीपीसी की तूती बोलती थी. 50 हजार का इनामी हार्डकोर नक्सली अनिल कुशवाहा की गिरफ्तारी के बाद टीपीसी का कैमूर पहाड़ी से सफाया हो गया. टीपीसी के सफाया के बाद हरि यादव कैमूर पहाड़ी पर वापस लौटा और अपनी टीम का गठन कर पहाड़ी पर उपस्थिति दर्ज कराया.
कैमूर पहाड़ी पर पहले से थी नजर : हरि यादव रोहतास थाना क्षेत्र अंतर्गत कैमूर पहाड़ी पर बंसा घनसा गांव का रहनेवाला है. वर्ष 1998 में नौहट्टा थाना क्षेत्र के लवड़ी गांव निवासी कुंदन सिंह खरवार की हत्या के बाद से ही फरार है. इस घटना को अंजाम देने के बाद हार्डकोर निराला यादव के समझ एमसीसी की सदस्यता ग्रहण किया. उस समय हरी यादव को एमसीसी युवा ब्रिगेड का कमान सौंपा गया था.
15 फरवरी, 2002 में डीएफओ संजय सिंह हत्याकांड के बाद एमसीसी संगठन में अफरा-तफरी मच गयी. हत्याकांड के मुख्य आरोपित निराला यादव, नीतीश यादव, राम वचन यादव, ललन सिंह खरवार, रूपदेव यादव व विनोद खरवार पुलिस के हत्थे चढ़ गये. संगठन का कमान राणा यादव को मिल गया. उसी समय से हरी यादव राणा यादव का खास बन गया.
बोले अधिकारी
पहाड़ी पर नक्सलियों की गतिविधि इन दिनों नहीं देखी जा रही है. एक पखवारा पहले पहाड़ी पर आठ-10 की संख्या में नक्सली देखे गये थे. अभी नक्सलियों की पहचान नहीं हो सकी हैं. पहाड़ी व तलहटियों पर पुलिस की नजर है. लगातार सर्च अभियान चलाया जा रहा है.
दुर्गेश कुमार, एएसपी नक्सल
हरि यादव को संदीप यादव का मिला साथ
हरि यादव को भगोड़े नक्सली संदीप यादव का साथ मिलने से संगठन मजबूत हुआ. संदीप यादव भी कभी एमसीसी का सक्रिय सदस्य था.
एसपी मनु महराज के प्रभाव में आने के बाद सरेंडर कर दिया. कुछ ही दिन बाद जेल से निकलने के बाद नक्सलियों के विरुद्ध अभियान में पुलिस का सहयोगी बन गया. वर्ष 2012 में नवादा निवासी ललन सिंह उर्फ लल्लु की संदीप ने अपने साथी कक्कु खां के साथ मिल कर डेहरी में गोली मार हत्या कर दिया था. उसके बाद ही संदीप यादव फरार हो गया. टीपीसी के सफाया के बाद संदीप भी वापस लौट आया है. ऐसा जानकार बताते हैं. दोनों का साथ आना पुलिस के लिए गंभीर चुनौती बनेगी.
कैमूर पहाड़ी के बारे में हर चीज की है जानकारी
अनिल कुशवाहा व टीम कि गिरफ्तारी के बाद कैमूर पहाड़ी नक्सल मुक्त हो गया था. गरमी के मौसम में पहाड़ी पर नक्सली जाने से कतराते हैं. बरसात शुरू होते ही नक्सली हरी यादव अपने पुराने साथियों को जोड़ दस्ता खड़ा कर लिया. कैमूर पहाड़ी पर एमसीसी बड़ी मात्रा में हथियार व असलहा छिपा रखा है. जिसकी जानकारी हरी यादव को है. इस लिए हथियार के लिए इसे सोचना नहीं है. दूसरी बात कहां से नक्सलियों को लेवी प्राप्त होती है. इसकी बखूबी जानकारी हरी यादव को है.
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