जनसुराज पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना दूरगामी राजनीति का अहम हिस्सा
वर्ष 2004 व 2009 में भाजपा के टिकट पर लगातार सांसद चुने गये थे पप्पू सिंह
पिछले 2024 के लोस चुनाव में तय की थी ‘किंग मेकर’ के रूप में अपनी भूमिका
पूर्णिया. राजनीति में अल्प विराम के बाद पूर्व सांसद उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह एक बार फिर बिहार की सियासत में एंट्री ले रहे हैं. विधानसभा चुनाव से पूर्व श्री सिंह का जनसुराज पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना कोई अचानक नहीं बल्कि दूरगामी राजनीति का एक हिस्सा है. इसकी पृष्टभूमि पहले ही बन चुकी थी, सिर्फ औपचारिक घोषणा के सटीक समय और तिथि का इंतजार था. उनके इस नये अवतार से सीमांचल की राजनीति में हलचल तेज हो गयी है. उद्योग, राजनीति और नौकरशाह घराने से आने वाले उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह राजनीति में कोई नये खिलाड़ी नहीं है. उनके राजनीति में आने से पूर्व उनकी मां माधुरी सिंह पूर्णिया से दो बार 1980 और 1984 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से पूर्णिया लोकसभा से सांसद रह चुकी हैं. इसके बाद पप्पू सिंह राजनीति में सक्रिय रूप से आये और दो दफे सांसद रहे. वे 2004 और 2009 में भाजपा के टिकट पर लगातार सांसद चुने गये थे, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद उदय सिंह ने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया. कांग्रेस ने उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्णिया से उम्मीदवार बनाया था लेकिन फिर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद उन्होंने चुनाव से अपने को अलग कर दिया. यही वजह है कि तमाम कयासों के बावजूद उन्होने 2024 के लोकसभा चुनाव में ‘किंग’ बनने की बजाय ‘किंग मेकर’ बनने की अपनी भूमिका तय कर सभी को चौंका दिया था. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस से भी अपना नाता तोड़ लिया.
2024 में ही डाली गयी थी पार्टी की नींव
2024 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही उनके मन में कुछ बड़ा करने की योजना मन में उमड़-घुमड़ रही थी, लेकिन उसके लिए सही आदमी की तलाश थी जो कालांतर में प्रशांत किशोर के रूप में सामने आयी. पप्पू सिंह जन सुराज के स्थापना काल से ही प्रशांत किशोर का साथ देते आ रहे हैं. उन्होंने न केवल पार्टी का समर्थन किया बल्कि पटना में प्रशांत किशोर को पार्टी चलाने के लिए शेखपुरा हाउस भी दे दिया. हालांकि, वे कभी सियासत के मैदान में खुलकर सामने नहीं आये, लेकिन पार्टी को बिहार में सक्रिय करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही. पटना में प्रशांत किशोर के आमरण अनशन के दौरान लग्जरी गाड़ी की चर्चा होने पर पप्पू सिंह पहली बार प्रशांत किशोर की तरफ से खुलकर मैदान में आये.
एक नये समीकरण की हो सकती है शुरुआत
राजनीतिक के जानकार मानते हैं कि पूर्व सांसद पप्पू सिंह के जनसुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से बिहार की राजनीति में एक नये समीकरण की शुरुआत हो सकती है. उनके राजनीतिक अनुभव और लोकप्रियता से पार्टी को बहुत बड़ा लाभ मिल सकता है. खासकर सीमांचल और कोसी के सात इलाकों में उनकी अपनी अलग सी छवि है. स्वभाव से मृदुभाषी और बेबाक टिप्पणी के मशहूर पप्पू सिंह की आज भी समाज के हर वर्गों में अपनी अलग पहचान है.
राजनीति में टर्निंग प्वाइंट रही वेदना रैली
करीब 11 साल पूर्व पूर्णिया में आयोजित वेदना रैली पूर्व सांसद उदय सिंह की राजनीति में टर्निंग प्वाइंट माना जाता है. यह रैली अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करने के लिए की गयी थी. उस समय बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजग की सरकार थी. यह वह दौर था. जब नरेंद्र मोदी पीएम पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे थे. तब की राजनीति में यह रैली काफी चर्चा में आयी थी और इसके कई मायने निकाले जा रहे थे. वेदना रैली के बाद नीतीश कुमार और उदय सिंह में मनमुटाव काफी बढ़ गया जो 2014 के लोकसभा चुनाव के परिणाम के रूप में सामने आया.
फोटो- 19 पूर्णिया 9- पप्पू सिंहडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

