पूर्णिया. धनतेरस के अवसर पर मंगलवार को आयुर्वेद चिकित्सा के जनक भगवान धनवंतरी की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई. इस मौके पर आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़े चिकित्सकों और बुद्धीजीवियों ने भगवान धनवंतरी की पूजा अर्चना कर विश्व कल्याण के लिए प्रत्येक व्यक्ति को निरोग रखने की कामना की.इस अवसर पर स्वास्थ्य ही धन है, का संदेश भी दिया गया. इस मौके पर संगोष्ठी भी आयोजित की गई. शहर के मरंगा स्थित वीवीआईॅटी परिसर स्थित आदित्यधाम में आयोजित गोष्ठी में विद्या विहार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के अध्यक्ष राजेश चंद्र मिश्र खास रुप से मौजूद थे. सेवा निवृत्त बैंक कर्मचारी उमेश मिश्र ने विधिवत पूजा सम्पन्न करायी. इस अवसर पर उमेश मिश्र, रमेश मिश्र आदि ने आयुर्वेद चिकित्सा पर चर्चा की और इसके विकास के लिए अपने सुझाव रखे. मिथिलेश मिश्र व अन्य वक्ताओं ने भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति व आयुर्वेद की महत्ता पर प्रकाश डाला. इस अवसर पर सुशील मिश्र, अखिलेश चंद्र मिश्र सुजीत मिश्र, शरत चन्द्र पांडे, संजय मिश्र , भूपाल भट्ट, सौरभ जी एवं अन्य भक्त जन उपस्थित थे. इस मौके पर आयोजित गोष्ठी में रोग-प्रतिरोधक क्षमता व रोग निवारण में आयुर्वेद के महत्व पर विस्तृत चर्चा हुई. वीवीआईटी के निदेशक राजेश चन्द्र मिश्र ने बताया कि भगवान धन्वन्तरि आयुर्वेद जगत के प्रणेता तथा वैधक शास्त्र के महान ज्ञाता देवता है. गोष्ठी में वैद्य परिवार से आने वाले अधिवक्ता संजय मिश्र डाबर, अखिलेश मिश्रा, भूपाल भट्ट, राजीव रंजन मिश्र, संजीव मिश्रा, शरद चंद्र पांडे आदि ने औषधीय महत्व के पौधों और जड़ी बूटियों के संरक्षण पर अपनी अपनी बातें रखी. इस प्रार्थना के साथ गोष्ठी का समापन किया गया कि रोगों एवं व्याधियों से पीडित आम आदमी स्वस्थ रहते हुए अपने जीवन के पुरषार्थ चतुष्टय धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति के लिए सुख पूर्वक प्रयत्नशील रहें.
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