– पूर्व में स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम के तहत एलएलएम कोर्स में हुआ था नामांकन – नामांकन के बाद तकनीकी पहलुओं की उपेक्षा से बाधित हो गयी पढ़ाई – अब एलएलबी में नामांकन की स्वीकृति मिलने पर बढ़ गयी अपेक्षा पूर्णिया. एलएलबी में नामांकन को विद्वत परिषद की स्वीकृति मिलने के बाद पूर्णिया विवि में एलएलएम कोर्स फिर से शुरू होने की उम्मीद बढ़ गयी है. दरअसल, प्रथम कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने पूर्णिया विवि में एलएलएम कोर्स प्रारंभ किया था. इसे स्ववित्तपोषित कोर्स के दायरे में रखा गया था. इस कोर्स में पूर्णिया विवि ने नामांकन भी सुनिश्चित किया था. हालांकि बाद में वित्तीय एवं अन्य कारणों से नामांकित छात्र-छात्राओं को शुल्क वापस कर दिया गया. इस बीच पूर्णिया विवि ने पांचवे संकाय के रूप में विधि संकाय को प्रारंभ किया. डीन सोशल साइंस को विधि संकाय के डीन की जवाबदेही दी. हालांकि जबतक विधि संकाय अपनी क्रियाशीलता बढ़ाता, तबतक एलएलबी की पढ़ाई ही अधर में फंस गयी. हाल में ही बीएमटी लॉ कॉलेज को बीसीआइ ने दो कोर्सेस में नामांकन की अनुमति प्रदान की है. इसके तहत त्रिवर्षीय कोर्स में 120 सीट और पंचवर्षीय कोर्स में 120 सीट पर अनुमति मिली. बीते 9 अप्रैल को कुलपति प्रो. विवेकानंद सिंह की अध्यक्षता में पूर्णिया विवि की विद्वत परिषद ने एलएलबी में नामांकन को अपनी मंजूरी दे दी. अब जब एलएलबी में नामांकन होनेवाला है तो एलएलएम कोर्स को भी दोबारा शुरू करने की अपेक्षा पूर्णिया विवि से बढ़ गयी है. विधि के जानकारों का मानना है कि पूर्णिया विवि को एलएलएम की पढ़ाई दोबारा शुरू करने के लिए पुन: आवश्यक प्रक्रिया करनी चाहिए. जिस प्रकार से पूर्णिया में उच्च न्यायालय की खंडपीठ की मांग प्रबल हो रही है, उस लिहाज से यहां विधि में एलएलएम जैसी उच्च शिक्षा प्रदान करने की जरूरत है.
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