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उत्सव में बिखेरी विभिन्न राज्यों की लोक कलाओं व लोक संगीत की छटा

जनजातीय कलाकारों का उत्सव संपन्न

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संगीत नाटक अकादमी का चार दिवसीय लोक व जनजातीय कलाकारों का उत्सव संपन्न

पूर्णिया. संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली की स्वायत्त संस्था के तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय लोक व जनजातीय कलाकारों का उत्सव शुक्रवार को संपन्न हो गया.कार्यक्रम के प्रथम सत्र में केरल से आये संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित डॉ चेरु थाजम कुन्ही मरार ने पारंपरिक संगीत थयंबका चेंडा को प्रस्तुत कर दर्शकों का मनमोहन मोहा. वहीं अकादमी अवार्डी डॉक्टर स्वप्न मुखोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल के लोक संगीत को प्रस्तुत कर लोगों को झूमने पर विवश कर दिया. उन्होंने बाउल गीत, भगवान शिव की अराधना व वंदना प्रस्तुत कर मनमोहक संगीत से लोगों को वाह- वाह करने पर विवश कर दिया. कार्यक्रम के तीसरे सत्र में अकादमी अवार्डी राकेश भट्ट के संयोजन में उत्तराखंड के उत्सव ग्रुप ने लोक नाटिका को प्रस्तुत कर दर्शकों में भक्ति भाव की धारा प्रवाहित कर दी. उन्होंने गौरा और भगवान शंकर के विवाह की कथा का गायन एवं भाव नृत्य से लोगों की खूब ताली बटोरी. केरल से आये डॉ चेरु थाजम कुन्ही मरार एवं उनकी टीम को वीवीआइटी पूर्णिया के निदेशक राजेश मिश्रा एवं उनकी धर्मपत्नी पल्लवी मिश्रा ने अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया. वहीं बंगाल से आयी टीम को भाजपा के जिलाध्यक्ष मनोज कुमार एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल्ल रंजन वर्मा ने अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया. उत्तराखंड की टीम को आशीर्वाद रंगमंडल के सचिव व वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. अमित रौशन एवं संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के पवन झा ने अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया. कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी कुमार अभिजीत ने किया. कार्यक्रम प्रारंभ होने से पूर्व संगीतमयी वातावरण निर्माण में गैलरी के प्रवेश द्वार पर रसन चौकी प्रस्तुत कर मधुबनी के कलाकारों ने अद्भुत तरीके से समां बांधा. मौके पर अवधेश गुप्ता, भिखारी ठाकुर रंग सम्मान से सम्मानित उमेश आदित्य, श्याम बाबू धर्माचार्य, शशि कुमार सिंह, सुकदेव दास, संजय कुमार सिंह, जयप्रकाश यादव, रामाश्रय प्रसाद, इंदेश्वरी प्रसाद मंडल समेत समेत शहर के सैकड़ों बुद्धिजीवी, रंगप्रेमी, विभिन्न संस्थाओं के छात्र प्रेक्षागृह में इस उत्सव में शामिल थे.

विलुप्त होती लोक कलाओं को संरक्षित करने की जरूरत

जिले के प्रेक्षागृह सह आर्ट गैलरी में आयोजित कार्यक्रम के प्रारंभ में संगीत नाटक अकादमी के पवन झा ने वीवीआइटी पूर्णिया के निदेशक राजेश मिश्रा को अंग वस्त्र से सम्मानित किया. इस अवसर पर राजेश मिश्रा ने संगीत नाटक अकादमी को धन्यवाद देते हुए कहा कि जिलेवासियों को भारतीय लोक व जनजातीय कलाओं को समझने व जानने का मौका अकादमी ने दिया है. विलुप्त होती लोक कलाओं को संरक्षित व संवर्धित करने के लिए संगीत लोक नाटक अकादमी संगीत नाटक अकादमी प्रयासरत है. हम सबों का दायित्व बनता है कि इन लोक कलाओं को संरक्षित व संवर्द्धित करने में अपने दायित्व का निर्वहन करें ताकि युवा पीढ़ी इससे प्रेरित हो सके.

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