पूर्णिया. सांसद प्रवक्ता राजेश यादव ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जातिगत गणना की घोषणा शोषितों और वंचितों के साथ-साथ कांग्रेस और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के इरादे और प्रयासों की जीत है. सांसद पप्पू यादव ने भी दो दशक पूर्व संसद में जाति गणना की आवाज को बुलंद किया था. लगातार सांसद पप्पू यादव ने सदन में आवाज बुलंद करने का काम किया है. कॉरपोरेट घराने के हाथों की कठपुतली केंद्र सरकार को जब यह लगने लगा कि अब विकास के पन्ने पर हाशिये पर रहे लोगों को उनकी हिस्सेदारी देनी होगी तो उन्हें जाति आधारित गणना की घोषणा करनी पड़ी. केंद्र सरकार को आबादी के अनुरूप लोगों को हिस्सेदारी देनी ही होगी. श्री यादव ने कहा कि जाति गणना पर उन्ही लोगों को आपत्ति है जो दूसरों के हक पर कुंडली मार कर बैठे हुए हैं. यह कोई नई मांग नही है. संयुक्त मोर्चा सरकार में भी वर्ष 1996-97 में इस आशय का निर्णय लिया गया था कि वर्ष 2001 की जनगणना के साथ-साथ जाति की भी गिनती होनी चाहिए लेकिन,अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में इस निर्णय को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. श्री यादव ने कहा कि जब जातियों की गिनती होगी तो उसके अनुरूप विकास योजनाएं बनेगी और तब जाकर शोषित-वंचित तबका को उनका हक मिल सकेगा. यह स्थिति बनेगी तो गैरबराबरी समाप्त होगा और देश का समावेशी विकास होगा. श्री यादव ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर केंद्र की गरीब विरोधी सरकार जाति गणना को लटकाने का प्रयास किया तो पप्पू-सेना सड़कों पर उतर कर प्रतिकार करेगी.
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