पूर्णिया : गुरुवार को भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में समेकित पोषक तत्व प्रबंधन पर विशेषज्ञों ने कुल 07 व्याख्यान एवं पावर प्वांइट प्रजेन्टेशन के माध्यम से प्रशिक्षु कृषि उपादान विक्रेताओं को जानकारी प्रदान की. महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पारसनाथ ने खरीफ मौसम की प्रमुख फसलों के महत्वपूर्ण कीट एवं व्याधियों और समेकित कीट प्रबंधन पर प्रकाश डाला. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के मृदा विशेषज्ञ डा. सुनील कुमार ने कहा कि समेकित पोषक तत्व प्रबंधन के साथ- साथ एकीकृत खरपतवार प्रबंधन के माध्यम से संरक्षित खेती को अपनाया जा सकता है.
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समेकित पोषक तत्व प्रबंधन पर मृदा विशेषज्ञों का पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन
पूर्णिया : गुरुवार को भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में समेकित पोषक तत्व प्रबंधन पर विशेषज्ञों ने कुल 07 व्याख्यान एवं पावर प्वांइट प्रजेन्टेशन के माध्यम से प्रशिक्षु कृषि उपादान विक्रेताओं को जानकारी प्रदान की. महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पारसनाथ ने खरीफ मौसम की प्रमुख फसलों के महत्वपूर्ण कीट एवं व्याधियों और समेकित कीट प्रबंधन […]
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के मृदा विशेषज्ञ डा यनेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि भूमि अम्लीयता, लवणता एवं क्षारीयता फसल उत्पादन के लिए प्रमुख समस्या है. इसके कारण फसल की वृद्धि रुक जाती है. इसलिए इष्टतम फसल उत्पादन के लिए ऐसी मृदा का उपचार किया जाना आवश्यक है.
सुधार हेतु प्रयोग किये जाने वाले रसायनों, जिप्सम, पाइराइट आदि के साथ ही साथ फसलों के चयन पर भी जानकारी प्रदान की. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के मृदा वैज्ञानिक डा राजकिशोर ने विभिन्न प्रकार की मिट्टियों के वितरण, खेती में आनेवाली समस्याओं एवं प्रबंधन तकनीक पर विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की. इसी क्रम में मृदा वैज्ञानिक डा पंकज कुमार यादव ने कहा कि किसान खेती में अपनी कुल पूंजी का बड़ा हिस्सा उर्वरक पर खर्च करता है.
मृदा वैज्ञानिक डा तपन गोराई ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्रफल का आकलन सही जानकारी के साथ ही अच्छी प्रकार से पोषक तत्वों का संतुलित प्रबंधन एवं प्रबंधन में सुदूर संवेदन तकनीक का प्रयोग बहुत ही मददगार साबित हुआ है. साथ ही साथ बिहार में इस तकनीकी से विभिन्न प्रकार की मिट्टियों की पहचान करके खेती युक्त बनाया जा रहा है. 15 दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स के आयोजन समिति के वैज्ञानिक सदस्यों में डा जनार्दन प्रसाद, डा अनिल कुमार, डा रुबी साहा, डा जी एल चौधरी, डा रवि केसरी, जेपी प्रसाद , सहायक नियंत्रक मनोज कुमार मिश्रा आदि ने अपना सहयोग प्रदान किया.
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