पूर्णिया : खेल और खिलाड़ियों के मामले में पूर्णिया का अतीत जितना गौरवमय रहा है वर्तमान उतना ही पीड़ादायक. हालांकि खेल और खिलाड़ी की कमी नहीं है पर पूर्णिया को इस बात का मलाल है कि मौजूदा दौर में अब्दुस समद और लतीफ सरीखे फुटबॉल का कोई जादूगर इस धरती से नहीं निकला. खास तौर पर खेल क्षेत्र की एेसी शख्सियत नहीं विश्व स्तर पर पूर्णिया का पताका लहरा कर आया हो. आज फुटबॉल के दोनों जादूगर नहीं हैं पर खेल पर चर्चा करते ही उनकी यादें स्वाभाविक रुप से आ जाती हैं.
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खेल और खिलाड़ियों के मामले में गौरवमय रहा है पूर्णिया का अतीत
पूर्णिया : खेल और खिलाड़ियों के मामले में पूर्णिया का अतीत जितना गौरवमय रहा है वर्तमान उतना ही पीड़ादायक. हालांकि खेल और खिलाड़ी की कमी नहीं है पर पूर्णिया को इस बात का मलाल है कि मौजूदा दौर में अब्दुस समद और लतीफ सरीखे फुटबॉल का कोई जादूगर इस धरती से नहीं निकला. खास तौर […]
यह अलग बात है कि . फुटबॉल, वॉलीबॉल, टेनिस, विलियडा, तीरंदाजी आदि खेलों में यहां के खिलाड़ियों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. अगर देखा जाये तो विश्व फुटबॉल जगत में हमारा प्रदर्शन निराशाजनक प्रतीत होता है जबकि पूर्णिया के इतिहास में फुटबॉल का स्वर्णिम अध्याय रहा है.
इसमें अब्दुस समद और लतीफ का नाम शुमार है जिन्हें फुटबॉल का जादूगर कहा जाता था. समद ने अपनी कौशलयुक्त खेल प्रतिभा का प्रदर्शन कर न केवल पूर्णिया और बिहार बल्कि विश्व में पूरे भारतवर्ष को गौरवान्वित किया. ‘अब्दुस समद’ का जन्म 1895 ई में हुआ था. सन् 1946 ई में पूर्णिया के खजांची हाट स्थित अपर प्राइमरी स्कूल से उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा ली थी.
1947 ई में स्कॉलरशिप परीक्षा में प्रथम आने परिणामत: 4 (चार) रुपये का स्कॉलरशिप मिला. मगर, आठवीं कक्षा के बाद समद ने स्कूल छोड़ दिया. उसी समय से वे फुटबॉल के प्रति समर्पित थे जिसमें कई बार उन्होंने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी किया. बचपन से ही उनका खेल कौशल अनुपम और रोमांचकारी था. खास कर ड्रिवलिंग और ट्रैकलिंग में वे माहिर थे. विशेष रूप से माप-शॉट का गजब का कौशल था.
मौका लगते ही पैरों से चिपक जाता था गेंद
पूर्णिया जूनियर फुटबॉल क्लब के लिए जब वे कलकत्ता गये तो इसी कौशल ने फुटबॉल क्लब के प्रबंधकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. अपनी खेल प्रतिभा की बदौलत वे 1915 में कलकत्ता मुख्य टाउन क्लब में शामिल हुए और 1915-20- ताजपुर फुटबॉल क्लब रंगपुर से जुड़ गये. 1916- इंग्लैंड के समरसेट फुटबॉल टीम और 1918 में कलकत्ता ओरियेन्ट क्लब से इंग्लैंड के खिलाफ मैच खेला कहा जाता है कि एक खेल में इंगलैंड की महिला दर्शक उनका पैर छू कर देखती थी कि कहीं उनके पैर में लट्ठा तो नहीं है.
क्योंकि फुटबॉल एक बार पैर पर आने के बाद मानो गेंद चिपक सा जाता था. 1921-30 में वे इस्ट बंगाल रेलवे टीम से खेले. पर सबसे यादगार पारी भारतीय सेना के लेफ्टीनेन्ट जेनेरल ‘शेरवुड मॉल’ संगठन के खिलाफ खेले गये मैच में रही. सन् 1927 में गोल दाग कर उन्होंने धमाल मचाया.
राष्ट्रीय टीम के लिए जब चुने गये समद
समद को 1924 में राष्ट्रीय टीम के लिए चुना गया. 1926 में उन्होंने टीम की नेतृत्व भी किया. इसमें अच्छी सफलता मिली. वर्मा, सीलोन, हांग-कांग, चीन, जावा, सुमात्रा, मलय, वोर्नियो सिगापुर और ब्रिटेन का भी उन्होंने दौरा किया और प्रतिष्ठा प्राप्त की. समद को विजींग में एक बार टीम ने एक्स्ट्रा खिलाड़ी के रूप में चुना. टीम शून्य तीन से पिछड़ रही थी. मैदान में खेल के दूसरे हाफ में समद को मैदान में उतारा गया. उन्होंने रोमांचकारी प्रदर्शन कर खुद 04 गोल डाल कर अपने टीम को 04-03 से विजय दिलाया.
1918 में कलकत्ता ओरियेन्स क्लब और 1921-30 इस्ट बंगाल रेलवे टीम के लिए उन्होंने मैच खेला. पांच वर्षों तक प्रथम श्रेणी फुटबॉल लीग चैम्पियन और भारतीय एसोसिएशन शील्ड कुल 21 टूर्नामेंट में जीत हासिल की. समद को फुटबॉल के टूर्नामेंट में हीरो की उपाधि देकर सम्मानित किया गया. जब अपने पुत्र संग मैच में लिया हिस्सा यह संयोग बना कि सन.
1944 में समद और उनके बेटे गुलाब हुसैन एक साथ रेलवे टीम के लिए खेले. 1947 ई के बाद समद बंगलादेश में दिनाज जिले के पर्वतीपुर में जा बसे और वहां पुन: खेल को रोजगार बनाया. 1957 में उन्हें राष्ट्रीय खेल परिषद बोर्ड का कोच नियुक्त किया गया. कहा जाता है कि 1962 में ही उन्होंने राष्ट्रपति पुरस्कार भी प्राप्त किया. 2 फरवरी 1964 ई परवतीपुर में महान खिलाड़ी का निधन हो गया.
फुटबॉल के दूसरे जादूगर के रूप में उभरे थे लतीफ
पूर्णिया. अब्दुस समद के बाद पूर्णिया में अब्दुल लतीफ का उदय हुआ. उनकी शिक्षा-दीक्षा जिला स्कूल, पूर्णिया में हुई. वे अपनी टीम के साथ पूर्णिया के लिए फुटबॉल खेले और नाम भी रौशन किया. बाद में कलकत्ता के फुटबॉल प्रेमी मोहम्मद स्पोर्टिंग क्लब ने उन्हें सदस्य बनाया. अपनी प्रतिभा के बल पर वे अपनी टीम के कैप्टन बने. अब्दुल लतीफ ने 1952 के ओलम्पियाड में फुटबॉल टीम का भारत की ओर से नेतृत्व किया. वैसे, अभी पूर्णिया में अब्दुस समद लतीफ के नाम से फुटबॉल क्लब चलाया जा रहा है जिसकी नींव 2005 में डाली गई थी.
वर्तमान में यह क्लब पूरे शबाब पर है. जिला स्कूल के क्रीड़ा प्रभारी भूपेन्द्र प्रसाद सिंह इस क्लब को गति दे रहे हैं. अध्यक्ष उदय शंकर सिंह एवं संरक्षक डा नीलाम्बर सिंह भी इस पहचान को अक्षुण्ण बनाए रखने का जतन कर रहे हैं. 2019 की जिला लीग में भी इस क्लब का प्रदर्शन संतोषजनक रहा है.
खेल दिवस पर पटना में मुख्यमंत्री की ओर से सम्मानित होंगे पूर्णिया के नौ खिलाड़ी
पूर्णिया. खेल दिवस पर गुरुवार को जिले के वैसे खिलाड़ियों को सम्मानित किया जायेगा जिन्होंने जिले व राज्य का नाम पूरे भारत में रोशन किया है. जिले के नौ खिलाड़ियों को खेल दिवस पर मुख्यमंत्री सम्मानित करेंगे.
इन सभी खिलाड़ियों ने बिहार टीम में चयन होने के बाद नेशनल प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन किया है. इसमें पांच खिलाड़ी फुटबॉल से, तीन खिलाड़ी रग्बी फुटबॉल से और एक खिलाड़ी कबड्डी से हैं. फुटबॉल अंडर-17 से पांच खिलाड़ियों में गंगा बासुकी, बिनोद टुड्डू, जीतू कुमार, मानविल किस्कू व मिथिलेश टुड्डू शामिल हैं.
रग्बी फुटबॉल अंडर-14 से खुशी कुमारी, शनि कुमार और अंडर-17 से काजल कुमारी शामिल हैं. एक खिलाड़ी कबड्डी से अंडर-14 में राजेश पटवारी भी शामिल हैं. ज्ञात हो कि पिछले वर्ष अंडर-17 फुटबॉल प्रतियोगिता में पूर्णिया के पांच खिलाड़ियों ने बिहार टीम के साथ खेला था. इस प्रतियोगिता में बिहार पूरे भारत में दूसरा स्थान लेकर उपविजेता बना था.
प्रतियोगिता में पांचों खिलाड़ियों ने बिहार टीम के साथ बेहतर खेलते हुए अपनी टीम को प्रतियोगिता में उपविजेता बनाया था. यह प्रतियोगिता पिछले वर्ष जम्मू-कश्मीर में हुई थी. इस प्रतियोगिता में मानविल किस्कू प्लेयर ऑफ टूर्नामेंट हुए थे. रग्बी फुटबॉल अंडर-14 में दो और अंडर-17 में एक खिलाड़ी ने भी पिछले वर्ष भुवनेश्वर में बेहतर खेलते हुए बिहार टीम को उपविजेता बनाया था.
कबड्डी अंडर-14 में पिछले वर्ष पटना में जिले के एक खिलाड़ी ने बिहार की तरफ से बेहतर खेल कर अपनी टीम को उपविजेता बनाया था. खेल दिवस पर जिले के 9 खिलाड़ियों के चयन पर जिला खेल पदाधिकारी रणधीर कुमार ने इन सभी खिलाड़ियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उम्मीद जतायी कि अगले खेल दिवस पर जिले के 25 खिलाड़ी सम्मानित होंगे.
खेल दिवस पर पूर्णिया में समारोह आज, सम्मानित होंगे खिलाड़ी
पूर्णिया : मेजर ध्यानचंद खेल दिवस पर जिला क्रिकेट संघ की ओर से गुरुवार को समारोह का आयोजन होगा. इस अवसर पर खिलाड़ियों एवं खेलों को आगे बढ़ाने वाले खेल प्रेमियों को सम्मानित किया जाएगा. पूर्णिया जिला क्रिकेट संघ के सचिव सह इस्ट जोन के चैयरमेन व प्रशिक्षक हरिओम झा ने कहा कि जिले में सीनियर एवं जूनियर प्रतिभाशाली क्रिकेटरों की फौज है.
सत्र 2018-19 में शिव आयुष सहाय, श्रवन निगरोध, अभिषेक कुमार चौधरी, मो आकीब रज़ा, विजय भारती व महिला वर्ग से अपूर्वा कुमारी अपने राज्य बिहार के लिए खेल रहे हैं. वर्तमान में राज सिंह नवीन, मो जियाउल हक, पवन सरगर, अनिमेष शर्मा, प्रीतेश ठक्कर,भास्कर दूबे, शिशिर साकेत, अभिषेक कुमार बाबू, रोहन सिंह, अमर यादव, मोनू प्रसाद, तौसिप चौहान, ईशु ईशान, उत्सव, अभिषेक कुमार, हर्ष आयुष, अनुज मध्यान, अमन स्वरूप , मन्नू सिंह के साथ दर्जनों पूर्णिया के प्रतिभावान क्रिकेटर राज्य स्तर पर खेलने को तैयार हैं.
इधर, जिला क्रिकेट संघ की अध्यक्ष सह बिहार टीम मैनेजर स्वाति वैशंयत्री जहां खेल को आगे बढ़ा रही हैं वहीं सीनियर क्रिकेटर शंशाक शेखर सिंह गुड्डू, सुधांशु शेखर प्रसाद पिंटू, मो. नैय्यर अली, मो. इरशाद आलम, मो. सरजील असर,मो. इस्तियाक अहमद, रतन पोद्दार, निशांत कुमार सहाय विक्की आदि क्रिकेटर की प्रतिभाओं को निखारने में अहम योगदान दे रहे हैं.
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