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बाढ़ प्रभावित इलाके में साढ़े 14 हजार गर्भवती महिलाएं चिह्नित

पूर्णिया :बाढ़ को लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह बाढ़ प्रभावित इलाकों में संकटग्रस्त व्यक्तियों की पहचान में ऐड़ी चोटी एक कर रहा है. बाढ़ से सुरक्षा हेतु प्रत्येक प्रखंड के गांव व पंचायत में उपलब्ध संसाधनों का मानचित्रण कर लिया गया है. इससे संकटग्रस्त लोगों में प्रशासन के प्रति आस जगी है. उपलब्ध जानकारी के […]

पूर्णिया :बाढ़ को लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह बाढ़ प्रभावित इलाकों में संकटग्रस्त व्यक्तियों की पहचान में ऐड़ी चोटी एक कर रहा है. बाढ़ से सुरक्षा हेतु प्रत्येक प्रखंड के गांव व पंचायत में उपलब्ध संसाधनों का मानचित्रण कर लिया गया है. इससे संकटग्रस्त लोगों में प्रशासन के प्रति आस जगी है.

उपलब्ध जानकारी के अनुसार अब तक जिले में 14463 गर्भवती महिलाओं की पहचान कर ली गयी है. इसके अलावा 14 हजार 368 धात्री तथा 4558 नि:शक्त व्यक्तियों की पहचान कर ली गयी है. संकटग्रस्त लोगों के लिए जहां ऊंचा स्थल शरण स्थल के रूप में चिह्नित कर सहायता शिविर चलाने की योजना बनायी जा रही है.
वहीं गर्भवती महिलाओं, धात्री महिलाओं व नि:शक्त जनों के लिए विशेष व्यवस्था करने की योजना बनायी जा रही है. ऐसे लोगों के लिए अलग से स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करायी जायेगी. इसके लिए संबंधित इलाके के नर्स व आंगनबाड़ी सेविका को भी लगाया जा रहा है. ड्यूटी पर प्रतिनियुक्त सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को भी खास नजर रखने के लिए कहा गया है.
तटबंधों की सुरक्षा : तटबंधों की सुरक्षा के लिए होमगार्ड के 50 जवानों को विभिन्न तटबंध इलाके में प्रतिनियुक्त कर लगातार 24 घंटे गश्त लगाने कहा गया है. तटबंधों के मरम्मत के लिए बोरे, लोहे का जाल, बालू, गिट्टी व बोल्डर की व्यवस्था की गयी है.
भेजी गयी एसडीआरएफ की दो टीमें
बायसी के इलाके में आयी भीषण बाढ़ के मद्देनजर एसडीआरएफ की दो टीम भेज दी गयी है. हालांकि अभी ये दोनों टीम बायसी में कैंप कर रही है. टीम के हवाले नौ मोटरबोट और लाइफ जैकेट कर दिया गया है. किसी भी परिस्थिति से निबटने के लिए तैयार रहने कहा गया है.
इसके साथ ही इमरजेंसी लाइट दी गयी है. जिले में 30 गोताखोरों को रिजर्व रखा गया है. बाढ़ की विभीषिका से निबटने के लिए 250 से अधिक नाव भी रिजर्व है. वर्तमान में बैसा प्रखंड में 25 नाव दिये गये हैं तो अमौर में 45 और बायसी में 71 नाव संकटग्रस्त लोगों के बीच राहत व बचाव कर रहा है.
सभी प्रखंडों में वर्षामापक यंत्र लगाया गया है. जिला प्रशासन ने सूचना व्यवस्था मजबूत करने के लिए कहा है. पॉलीथिन शिटस, सत्तू, गुड़, चूड़ा आदि की व्यवस्था कर ली गयी है. मानव दवा और पशु दवा के साथ-साथ पशु चारा की व्यवस्था कर ली गयी है. बाढ़ प्रभावित इलाकों में अंधेरे से निजात पाने के लिए पेट्रोमेक्स की भी व्यवस्था की जा रही है.

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