मुंगेर : शहर के पीपल पांती रोड स्थित संचालित मिशनरी ऑफ चैरिटी में रह रही एक बच्ची की मौत हो गयी. बच्ची की मौत इलाज के दौरान एक निजी नर्सिंग होम में हुई. बच्ची की मौत के बाद मिशनरी ऑफ चैरिटी पर सवाल उठना शुरू हो गया है. एक ओर जहां चैरिटी की सिस्टर निर्मला ने कहा कि वह उन्हीं बच्चों को रखती हैं, जो निर्धन परिवार का होता है.
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मिशनरी ऑफ चैरिटी में रह रही बच्ची की मौत
मुंगेर : शहर के पीपल पांती रोड स्थित संचालित मिशनरी ऑफ चैरिटी में रह रही एक बच्ची की मौत हो गयी. बच्ची की मौत इलाज के दौरान एक निजी नर्सिंग होम में हुई. बच्ची की मौत के बाद मिशनरी ऑफ चैरिटी पर सवाल उठना शुरू हो गया है. एक ओर जहां चैरिटी की सिस्टर निर्मला […]
वहीं दूसरी तरफ समाज कल्याण विभाग के डीपीओ रेखा कुमारी ने कहा कि यह चैरिटी अवैध ढंग से संचालित हो रहा है. हवेली खड़गपुर प्रखंड के पुरुषोत्तमपुर गांव निवासी ज्योतिष मांझी की 3 वर्षीय पुत्री सीता कुमारी का इलाज के क्रम में मंगलवार की सुबह मौत हो गयी.
आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के नवजात बच्चों के देखभाल के लिए मिशनरी ऑफ चैरिटी बच्चों एवं बच्चियों को रखती है. जिसके कारण तेलियाडीह पंचायत के वर्तमान मुखिया मुकेश मांझी ने पत्र लिखकर मिशनरी ऑफ चैरिटी से अपील किया था कि पुरुषोत्तमपुर गांव निवासी ज्योतिष मांझी की पत्नी कुंती देवी दो बच्चियों को जन्म दिया है.
लेकिन बच्ची तथा मां दोनों काफी कमजोर है इसी कारण बच्चियों को पालन करने में असमर्थ है. बच्चियों का दूसरा जिंदगी पाने के लिए बच्चियों को मिशन के हवाले करना चाहते हैं. जिसके बाद दोनों बच्ची मिशनरी में रहने लगी थी. जिसमें से एक बच्ची सीता की मौत हो गया.
समाज कल्याण विभाग ने नहीं किया निबंधन . समाज कल्याण विभाग के निदेशक राजकुमार ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली के आदेश के आलोक में मिशनरी ऑफ चैरिटी से सूचनाएं मांगी थी.
इसके बाद 25 फरवरी 2019 को समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी पत्र में कहा गया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं जिला से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर यह स्पष्ट है कि संस्था निबंधन से संबंधित सभी शर्तों को पूरा नहीं करती है. इसलिए निबंधन नहीं किया जा सकता है.
कहते हैं डीपीओ
समाज कल्याण विभाग के डीपीओ रेखा कुमारी ने बताया कि चैरिटी अवैध ढंग से संचालित हो रहा है. विभाग के निर्देश पर उसे बंद करने के लिए कई बार पत्र भेजा गया. जब पत्र लेने से इंकार किया, तो रजिस्ट्री के माध्यम से भी पत्र भेजा गया. लेकिन उसके बाद भी उनके द्वारा चैरिटी को बंद नहीं किया गया है.
कहती हैं चैरिटी की हेड
मिशनरी ऑफ चैरेटी की हेड सिस्टर निर्मला ने कहा कि वह यहां उन्हीं बच्चों की रखती है. जिनके परिजन निर्धन होते हैं. परिजनों की स्वेच्छा से बच्ची को रखा जाता है. चार साल तक बच्चों को पालने के बाद पुन: बच्चों को उसके परिजनों को सौंप दिया जाता है.
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