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बाबू कुंवर सिंह ने जब एक स्त्री की बात सुन उसके नाम कर दी 200 बीघा जमीन, जानिये दुसाधी बधार का इतिहास

वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव समारोह को लेकर बिहार के भोजपुर स्थित जगदीशपुर में जश्न का माहौल है. वीर कुंवर सिंह के कई किस्से आज हमारे बीच हैं. खासकर युवा वर्ग के लिए आज बेहद जरुरी है कि वो भी जानें कि आखिर क्यों कुंवर सिंह सबके हृदय में बसते हैं.

बिहार में आज यानी शनिवार 23 अप्रैल को वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव मनाया जा रहा है. भोजपुर के जगदीशपुर में हो रहे इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हो रहे हैं. एक लाख से अधिक तिरंगे थामे लोग आज विश्व रिकॉर्ड कायम करेंगे. जानिये बिहार की माटी के शान रहे बाबू वीर कुंवर सिंह से जुड़े कुछ किस्से जो उन्हें महान बनाते हैं…

बाबू कुंवर सिंह की दानवीरता के अनेक किस्से मशहूर हैं. कहा जाता है कि वे हाथी पर सवार होकर कहीं जा रहे थे. रास्ते में धान रोपने वाली स्त्रियां हाथ में कीचड़ लेकर होली खेलने के बहाने से बख्शीश के लिए कुंवर सिंह के पास आयीं, पर एक स्त्री दूर ही खड़ी रही. सभी को बख्शीश देने के बाद कुंवर सिंह ने जानना चाहा कि आखिर वह स्त्री क्यों नहीं आयी.

जब बाबू कुंवर सिंह ने उक्त स्त्री को बुलाया गया, तो उसने बताया कि रिश्ते में आप मेरे चाचा लगेंगे, क्योंकि मैं जगदीशपुर की बेटी हूं. भला चाचा पर किचड़ कैसे डालूं. पूरा परिचय जानकर उन्होंने उस स्त्री के नाम से 200 बीघे जमीन कर दी और कहा कि मेरी बेटी होकर यह रोपनी करे, यह असह्य है. वह स्त्री दुसाध जाति की थी. इसलिए उस जमीन का नाम ही दुसाधी बधार पड़ गया.

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