राजद नेता ने कहा, मैं इस मामले में सीएम से करना चाहता हूं डिबेट
संवाददाता,पटना
राजद नेता तेजस्वी यादव ने बिहार एनडीए से सवाल पूछा है कि उनके नेता जो चुनावी वादे और घोषणाएं कर रहे हैं, उनके लिए पैसा कहां से लायेंगे? कहा कि इस सरकार के पास बजट की स्कीम मद में मुश्किल से एक लाख कराेड़ का बजट बचता है. जबकि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की तरफ से की जा रही घोषणाएं सात लाख करोड़ से अधिक की हैं. सवाल किया कि ये एनडीए के नेता बतायें कि इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए वह रेवेन्यू कहां से और कैसे जेनरेट करेंगे? उन्हाेंने कहा कि मैं इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार डिबेट करना चाहता हूं. कहा कि बिहार भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के ””टाइम बम””पर बैठा है. तेजस्वी ने कहा कि एनडीए सरकार ये क्यों नहीं बताती है कि वह प्रतिदिन बिहार के तिजोरी से 65 करोड़ रुपये बतौर कर्ज के रूप में अदा कर रही है. एनडीए सरकार के पूरे 20 साल के पूरे कार्यकाल में 10 हजार रुपये को विभाजित करते हुए बताया कि डबल इंजन सरकार ने बिहार की महिलाओं को 1.38 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से ये राशि दी है. इन पैसों के जरिये वह बिहार के वर्तमान और भविष्य को खराब करना चाहतेे हैं. बताया कि बिहार का सप्लीमेंट सहित कुल बजट तीन लाख 95 हजार करोड़ है. इसमें दो लाख करोड़ कमिटेड यानी वेतन आदि का बजट है. स्कीम के लिए कुल बजट 1.95 लाख करोड़ का है. इसमें भी कमिटेड खर्च हैं. आरोप लगाया कि राज्य सरकार 71 हजार करोड़ के सीएजी के मामले का हिसाब-किताब नहीं दे रही है. तेजस्वी यादव ने कहा कि जब हमारी सरकार बनेगी तो हम लोगों के साथ आर्थिक न्याय करेंगे. महिलाओं को प्रति माह ढाई हजार रुपये देंगे. यह राशि उधार नहीं होगी, जबकि इस सरकार की तरफ से दिये गये 10 हजार रुपये उधार दिये जा रहे हैं. इसको लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पर भी कई कटाक्ष किये.
कहा- दलितों की हकमारी पर चिराग और मांझी ने साध रखी है चुप्पी
तेजस्वी यादव ने केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी और चिराग पासवान पर निशाना साधा है. कहा कि खुद को दलित नेता कहने वाले चिराग पासवान और जीतन राम मांझी ने सत्ता में हिस्सेदारी पाकर दलितों की हकमारी पर चुप्पी साध रखी है. पाटलिपुत्र दलित सम्मेलन में तेजस्वी यादव ने अपने विचार रखे थे. जिसे उन्होंने रविवार को अपने एक्स हैंडल पर साझा किया है. कहा कि 20 वर्षों की एनडीए की डबल इंजन सरकार की दलित-विरोधी नीतियों के कारण बिहार में अनुसूचित जातियों की आबादी 21.3 % से अधिक होने के बावजूद सरकारी और पेशेवर क्षेत्रों में दलितों की भागीदारी महज 1.13 % पर सिमट कर रह गयी है. निरंतर दलितों की हकमारी होने से उनकी दयनीय स्थिति हो गयी है.
अतिपिछड़ा वोट बैंक नहीं,पावर बैंक हैं: तेजस्वी यादव एक अन्य ट्वीट में कहा कि अतिपिछड़ा वोट बैंक नहीं ,बल्कि पावर बैंक हैं. अतिपिछड़ा सरकार बनायेंगे नहीं, अब खुद ही सरकार बनेंगे.
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