एक सेमेस्टर में एक क्रेडिट जरूरी संवाददाता, पटना: सभी यूनिवर्सिटियों में 2025 से पर्यावरण विषय की पढ़ाई अनिवार्य की गयी है. इस संबंध में यूजीसी ने सभी राज्यों के शिक्षा सचिव और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखकर पर्यावरण विषय को शामिल करने को कहा है. यूजीसी ने कहा है कि स्नातक प्रोग्राम के पाठ्यक्रम में नौ विषयों को शामिल किया गया हैं. कुल 30 घंटों की क्लासरूम स्ट्डी में एक विषय चार घंटे तो अन्य छह-छह घंटों के हैं. इसके कुल चार क्रेडिट होंगे. पर्यावरण शिक्षा के पाठ्यक्रम में जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छता, जैविक विविधता का संरक्षण, जैविक संसाधनों और जैव विविधता का प्रबंधन, वन और वन्य जीवन संरक्षण और सतत विकास जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है. एक सेमेस्टर एक क्रेडिट हासिल करना जरूरी होगा. एक क्रेडिट के साथ 30 घंटे की क्लासरूम स्ट्डी और फील्ड वर्क करना पड़ेगा. एनइपी के तहत पर्यावरण शिक्षा जरूरी: पत्र में लिखा है कि सर्वोच्च अदालत के निर्देश के तहत स्नातक पाठ्यक्रमों में पर्यावरण विषय शामिल किया गया है. इसलिए सभी उच्च शिक्षण संस्थान यूजी में पर्यावरण विषय को शामिल करना अनिवार्य है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) 2020 की सिफारिशों के तहत पर्यावरण शिक्षा पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार किया गया है. इसमें पढ़ाई समेत फील्ड में जाकर केस स्ट्डी भी करनी होगी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सचिव प्रोफेसर मनीष जोशी की ओर से इस संबंध में पत्र लिखा गया है. इसमें लिखा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) 2020 में भी पर्यावरण शिक्षा को सबसे जरूरी माना गया है. सर्वोच्च अदालत ने भी पर्यावरण पढ़ाई को अनिवार्य माना है. इसी के तहत यूजीसी ने पर्यावरण शिक्षा को लेकर विशेषज्ञों से पाठ्यक्रम तैयार किया है. इसका मकसद छात्रों को पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के प्रति जागरूक करना है. इसे सामुदायिक जुड़ाव और मूल्य-आधारित शिक्षा के आधार पर तैयार किया गया है.
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