पटना : इस बार पटना जिले की 14 सीटों पर कई विधायकों का टिकट कट सकता है. एक तरफ एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवार बदल सकते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ गठबंधन के भीतर पार्टियां भी एक दूसरे के लिए अपनी सीट छोड़ सकती हैं. चर्चा यह है कि दीघा विधानसभा सीट इस बार जदयू के खाते में जा सकती है, जबकि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा ने जीत दर्ज की थी. उधर, महागठबंधन से यह सीट कांग्रेस के खाते में जाने की भी चर्चा है. दीघा के अलावा शहर की पटना सिटी, कुम्हरार व बांकीपुर की सीटें भाजपा की झोली में रही हैं. इस बार कुम्हरार की सीट पर भाजपा में फेरबदल की संभावना जतायी जा रही है. उसी प्रकार से दानापुर से भी राजद अपने उम्मीदवार को बदल सकता है. 2020 के चुनाव में यहां से राजद के टिकट पर बाहुबली रीतलाल यादव ने जीत दर्ज की थी. इस बार रीतलाल यादव आपराधिक मामलों में जेल में बंद हैं. सूत्र बताते हैं कि इस बार राजद इस सीट से रीतलाल यादव के अलावा दूसरे विकल्पों पर भी विचार कर रहा है. वहीं, उनके मुकाबले भाजपा भी नये उम्मीदवार देने की जुगत में है. फुलवारीशरीफ विधानसभा क्षेत्र से भी एनडीए की ओर से उम्मीदवारों के नाम को लेकर अभी कुछ साफ नहीं है. क्षेत्र में इस बार जदयू में आये पूर्व मंत्री श्याम रजक भी मैदान में उतर सकते हैं. फुलवारीशरीफ और पालीगंज में भाकपा माले और बिक्रम की सीट पर कांग्रेस जीती थी. लेकिन, हाल के दिनों में बिक्रम के कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ सौरभ भाजपा में शामिल हो चुके हैं. वहीं, मोकामा से जीतने वाली नीलम देवी राजद छोड़ कर जदयू के साथ खड़ी हैं. इस बार वहां से उनके पति अनंत सिंह मैदान में उतर सकते हैं. इस बार चुनाव में पटना जिले की सभी सीटों पर बड़े पैमाने पर फेरबदल होने की संभावना है. सरकार के दो बड़े मंत्रियों की नजर भी पटना की सीटों पर टिकी है.
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