Road Accident Bihar:बिहार में सड़कें तो बन रही हैं, लेकिन सुरक्षा के बिना. परिवहन विभाग की रिपोर्ट चौंकाने वाली है—राज्य में 60% सड़क दुर्घटनाएं बिना योजना बनाए बनाए गए कट से होती हैं और 17% दुर्घटनाएं अवैज्ञानिक स्पीड ब्रेकरों के कारण.
इतना ही नहीं, बे-रूट वाहन संचालन, अवैध टोटो-ऑटो, और फुटपाथ की अनुपस्थिति ने सड़क को हर किसी के लिए असुरक्षित बना दिया है. खासकर युवा सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं इस लापरवाही के.
बिना प्लानिंग के कट बना मौत का रास्ता
सड़क किनारे बसे गांवों और मोहल्लों में स्थानीय लोग अक्सर अपनी सुविधा के लिए अनचाहे कट बना देते हैं. ये कट ज्यादातर ऐसे जगहों पर होते हैं जहां गाड़ी की रफ्तार तेज होती है. ऐसे में अचानक कट से मुड़ती गाड़ियां या सामने से आते वाहन टकरा जाते हैं. 2025 तक की रिपोर्ट बताती है कि सड़क दुर्घटनाओं का 60% कारण ये अनियोजित कट हैं.
स्पीड ब्रेकर नहीं, स्पीड किलर!
बिना साइनबोर्ड और सही मापदंडों के बनाए गए अवैज्ञानिक स्पीड ब्रेकर अब जानलेवा साबित हो रहे हैं. कहीं ऊंचे हैं, तो कहीं बिलकुल अदृश्य. आंकड़ों के मुताबिक, 17% हादसे इन्हीं ब्रेकरों के कारण होते हैं. खासकर रात में ये ब्रेकर वाहन चालकों को दिखते नहीं और टक्कर या पलटने की घटनाएं आम हैं.
पैदल चलना भी नहीं सुरक्षित
कई जगह फुटपाथ नहीं, न ही कोई ज़ेब्रा क्रॉसिंग. आम लोग जहां-तहां से सड़क पार करते हैं. रिपोर्ट कहती है कि 6% से अधिक हादसे ऐसे लोगों के साथ होते हैं, जो सड़क पार करते वक्त वाहन की गति या दिशा नहीं समझ पाते.
रूट फिक्स नहीं, गाड़ियां बेलगाम
परिवहन विभाग ने सभी जिलों को वाहनों के आवागमन के तय रूट की योजना देने को कहा है, लेकिन अमल बहुत कम जगहों पर हुआ. नतीजा—’नो एंट्री’ में भी भारी वाहन चलते हैं, अनियंत्रित टोटो-ऑटो हर गली-मोहल्ले में हावी हैं.
सड़कें बनती रहीं, हादसे बढ़ते रहे
2017 से लेकर 2025 तक बिहार में 82,699 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज हुईं, जिनमें 61,815 बेहद गंभीर रहीं. कई घटनाओं में लोग मौके पर ही मारे गए, बाकी अस्पताल पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ गए. यह बताता है कि बुनियादी सड़क सुरक्षा की घोर कमी है.

