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– डॉल्फिन रिसर्च सेंटर में भारत, नेपाल, बांग्लादेश सहित अन्य देशों के लोग करेंगे पटना में डॉल्फिन पर रिसर्च-30 करोड़ की लागत से शहर के किनारे गंगा नदी तट पर पटना यूनिवर्सिटी की ढाई एकड़ जमीन पर बना जी प्लस टू भवन
संवाददाता,पटनाविलुप्त हो रहे गांगेय डॉल्फिन पर रिसर्च करने के लिए पटना में गंगा नदी के किनारे स्थित पटना यूनिवर्सिटी के लॉ कॉलेज के पास ढाई एकड़ जमीन पर 30 करोड़ की लागत से नेशनल डॉल्फिन रिसर्च सेंटर बनाया गया है. इसका उद्घाटन पिछले साल किया गया है. अब इसमें शोध कार्य अगले महीने के आखिर से शुरू हो जायेगा. डॉल्फिन में रुचि रखने वाले देश के विभिन्न राज्यों के विद्यार्थी पटना आकर शोध कर सकेंगे. सेंटर में भारत, नेपाल, बांग्लादेश सहित अन्य देशों के लोग पटना में डॉल्फिन पर रिसर्च करेंगे. लगभग 50 पदों पर बहाली होगी, जिसमें डॉल्फिन वैज्ञानिक, क्लर्क, शोध साइंटिस्ट व अन्य पद होंगे. बजट और बहाली को लेकर प्रस्ताव बनाकर पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को भेजा गया है. विभाग की ओर से कैबिनेट में भेजने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. उम्मीद है कि अगले महीने प्रस्ताव को स्वीकृति मिल जाये और महीने के आखिर में या जुलाई से शोध कार्य के साथ साथ जागरूकता कार्यक्रम की भी शुरुआत हो जायेगी. खासकर ब्रूडिंग फिशेस को बचाने को लेकर भी जागरूक किया जायेगा.
जल्द मछुआरों को किया जायेगा जागरूक
नेशनल डॉल्फिन रिसर्च सेंटर के इंट्रीम डायरेक्टर व डॉल्फिन विशेषज्ञ डॉ गोपाल शर्मा ने बताया कि सेंटर के शुरु होते ही सबसे पहला काम मछुआरे और आम लोगों के बीच जागरूकता कैंपेन की शुरुआत होगी. अभी के समय में 15 जून से 15 अगस्त तक जाल नहीं लगाया जाता है, जिससे मछलियां ब्रीड कर सकें. जागरूकता अभियान का एक हिस्सा उन मछलियों के संरक्षण पर होगा, जो अंडे देने वाली हैं. पूरे बिहार में इसका कार्य होगा, जिसमें बक्सर डिविजन, भोजपुर, पटना, मुंगेर, भागलपुर और अररिया डिविजन शामिल हैं. सेंटर इन जगहों के डीएफओ और जिला मत्स्य पदाधिकारी के साथ मिलकर इस संरक्षण योजना का कार्य करेंगे. इसके साथ ही डॉल्फिन के अधिवास वाले इलाकों में रहने के दौरान आने वाली चुनौतियों पर शोध कार्य होगा. बिहार मत्स्य जलकर प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम, 2018 का विस्तार संपूर्ण बिहार राज्य में होगा.
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