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आरडीसी में राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले एनसीसी कैडेट्स को पीयू ने नहीं किया प्रोमोट

एनसीसी कैडेट्स को पदोन्नति से वंचित रखने पर कड़ा विरोध शुरू हो गया है

– छात्र संघ ने उठाये सवाल

-यूजीसी निर्देशों की अनदेखी का आरोप, विशेष परीक्षा या पदोन्नति की मांग

फोटो भीसंवाददाता, पटना

पटना विश्वविद्यालय द्वारा रिपब्लिक डे कैंप (आरडीसी) में अपने निदेशालय और राज्य का राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने वाले एनसीसी कैडेट्स को पदोन्नति से वंचित रखने पर कड़ा विरोध शुरू हो गया है. पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ (पीयूएसयू) ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य बताते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं. पीयूएसयू का कहना है कि आरडीसी में भाग लेने वाले एनसीसी कैडेट्स की जानकारी पूर्व में ही विश्वविद्यालय प्रशासन को दे दी गयी थी. इसके बावजूद कैडेट्स को सेमेस्टर बैकलॉग और पदोन्नति से वंचित किया जाना विश्वविद्यालय की लापरवाही को दर्शाता है. छात्र संघ ने याद दिलाया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने वर्ष 2021 में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किये हैं, जिनके तहत राष्ट्रीय दायित्वों में भाग लेने वाले एनसीसी कैडेट्स के शैक्षणिक हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रावधान है. इसके बावजूद छात्रों को शैक्षणिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.

राष्ट्र सेवा का अपमान: पीयूएसयू

पीयूएसयू अध्यक्ष मैथिली मृणालिनी ने इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आरडीसी जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रम में भाग लेना हर कैडेट के लिए गौरव का विषय होता है. उन्होंने कहा, मैं स्वयं आरडीसी–2025 की एनसीसी कैडेट रही हूं और जानती हूं कि निदेशालय का प्रतिनिधित्व करना कितना सम्मानजनक होता है. राष्ट्र सेवा के बाद कैडेट्स को विश्वविद्यालयी उपेक्षा का सामना करना बेहद अपमानजनक है.

विशेष परीक्षा या पदोन्नति की मांग

पीयूएसयू अध्यक्ष ने कहा कि यदि नियमों के कारण प्रमोशन में बाधा है तो विश्वविद्यालय को कैडेट्स के लिए विशेष परीक्षा आयोजित करनी चाहिए या वैकल्पिक रूप से पदोन्नति का प्रावधान किया जाना चाहिए. पीयूएसयू ने बताया कि यह मामला विश्वविद्यालय के कुलपति और परीक्षा नियंत्रक के संज्ञान में लाया जा चुका है. छात्र संघ ने मांग की है कि विश्वविद्यालय तत्काल यूजीसी के निर्देशों के अनुरूप निर्णय ले. छात्र संघ ने स्पष्ट किया है कि यदि इस मामले में शीघ्र समाधान नहीं किया गया तो छात्र संघ को निर्णायक कदम उठाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.

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