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पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में जब रामजतन सिन्हा से हार गए थे लालू यादव, काफी रोचक है कहानी

पीयू छात्र संघ की स्थापना वर्ष 1956 में हुई थी. तब से 1968 तक छात्र संघ के समस्त प्रतिनिधियों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता था. 1968 में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने प्रत्यक्ष चुनाव की मांग की. इसके बाद लोकमत कराया गया और फिर तय हुआ कि अब प्रत्यक्ष चुनाव से प्रतिनिधि चुने जायेंगे.

पटना यूनिवर्सिटी शिक्षा का केंद्र होने के साथ साथ बिहार के राजनीति की नर्सरी भी है. यहां आज एक बार फिर से कैंपस में छात्र संघ की गूंज है. आज सुबह 8 बजे से करीब दो बजे तक मतदान का दौड़ चला, इसके बाद अभी वोटों की गिनती चल रही है. पटना विश्वविद्यालय के छात्र राजनीति से निकले नेता आज बिहार की राजनीति को दिशा दे रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी हों या केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, अश्विनी चौबे व रामविलास पासवान, पटना विवि छात्र संघ की ही उपज हैं.

राम जतन सिन्हा से हार गए थे लालू यादव

हम आज पटना विहवविद्यालय छात्र संघ चुनाव के इतिहास से जुड़े कुछ रोचक किस्सों के बारे में बात कर रहे हैं. पटना यूनिवर्सिटी के छात्र संघ का इतिहास राजनीति की धुरी लालू प्रसाद यादव के बिना अधूरा है. पीयू में वर्ष 1970 में पहली बार चुनाव हुआ था, तब लालू प्रसाद महासचिव बने थे. फिर 1971 में चुनाव हुआ. इसमें अध्यक्ष पद के लिए राम जतन सिन्हा और लालू प्रसाद आमने-सामने थे. इसमें लालू प्रसाद की हार हुई. इसके बाद रामजतन सिन्हा अध्यक्ष बने तो नरेंद्र सिंह महासचिव बने. वहीं 1973 में हुए चुनाव में लालू प्रसाद अध्यक्ष बने, सुशील कुमार मोदी महासचिव एवं रवि शंकर प्रसाद सहायक महासचिव बने. इसके बाद 1977 में हुए चुनाव में अश्विनी चौबे पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष बने. 1980 में अनिल शर्मा एवं 1984 में रणवीर नंदन महासचिव बने.

पीयू छात्र संघ की स्थापना

पीयू छात्र संघ की स्थापना वर्ष 1956 में हुई थी. तब से 1968 तक छात्र संघ के समस्त प्रतिनिधियों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता था. 1968 में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने प्रत्यक्ष चुनाव की मांग को लेकर तत्कालीन कुलपति डॉ कलिकिंकर दत्त से मुलाकात की. इसके बाद लोकमत कराया गया जिसके बाद तय हुआ कि अब प्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा छात्र संघ के प्रतिनिधि चुने जायेंगे. नौ मार्च 1970 को पहली बार प्रत्यक्ष चुनाव के आधार पर मतदान हुआ था.

लालू यादव का राजनीतिक सफर

राजद सुप्रीमो लालू यादव का राजनीतिक सफर पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ से ही शुरू हुआ था. 1973 में छात्र संघ के अध्यक्ष बनने के बाद लालू यादव ने 1974 के जेपी आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. वो इस आंदोलन के सबसे अहम युवा नेताओं में से एक थे. इसके बाद जब 1977 में आपातकाल समाप्त हुआ तो लालू यादव 29 साल की उम्र में छपरा से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर सांसद बनें. इसके बाद उन्होंने पिछड़ों के अधिकार के लिए भी लड़ना शुरू किया. लालू यादव 1990 में पहली बार वो सीएम बने थे. लालू यादव अकेले ऐसे नेता हैं जो पीयू छात्र संघ में प्रत्यक्ष रूप से चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री बने हैं. इसके अलावा तत्काल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, सुशील मोदी जैसे अन्य बिहार के नेता भी इसका हिस्सा रह चुके हैं.

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छात्र संघ चुनाव में हिंसा

पटना विश्वविद्यालय का छात्र संघ चुनाव वर्ष 1984 तक आते-आते हिंसक होने लगा. स्थिति यह हो गई थी कि उम्मीदवार हथियार लेकर प्रचार करने लगे थे. उम्र सीमा तय न होने के कारण नेतागिरी चमकाने के लिए लोग छात्र बनकर राजनीति करते रहे. इसका नतीजा यह हुआ था कि छात्र संघ चुनाव पर अघोषित रोक लग गयी थी. इस रोक के बाद 28 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद वर्ष 11 दिसंबर 2012 में पीयू में छात्र संघ चुनाव हुआ. इसके बाद 2018 और 2019 में चुनाव हुआ था. वहीं इस बार 2022 में फिर से हो रहे छात्र संघ चुनाव में हिंसा देखने को मिली है. दो गुटों की गोलीबारी में कई लोग जख्मी हो गए. छात्रों ने इस बार तो मीडिया कर्मियों पर हमला कर दिया है.

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