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पटना में बढ़ी मोबाइल स्नैचिंग की घटनाएं, रिकवरी तो छोड़िए, फोन लौटाने के लिए स्नैचर मांग रहे पैसा

पुलिस सूत्रों से मिले आंकड़ों के अनुसार एक थाना क्षेत्र में हर महीने 20 से अधिक मोबाइल की छिनतई होती है. ऐसी 90 प्रतिशत घटनाओं में मोबाइल नहीं मिलता है.

पटना. अगर आपका मोबाइल कोई छीन लेता है, तो उसे भूल जाइए. वह मिलना तो दूर एफआइआर तक पुलिस दर्ज नहीं करेगी और एक फॉर्म भरवा कर गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर पर्चा थमा देगी. अगर पीड़ित थोड़ा-सा भी कड़क होकर प्राथमिकी पर अड़ गया, तो उसे यह बोल कर डरा दिया जाता है कि कोर्ट-कचहरी और थाना-पुलिस करना पड़ेगा. मोबाइल मिलने की भी कोई गारंटी नहीं है. गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाइए और आराम से घर बैठ जाइए, मोबाइल का कुछ पता चलेगा, तो आपको फोन कर बुला लिया जायेगा. पुलिस सूत्रों से मिले आंकड़ों के अनुसार एक थाना क्षेत्र में हर महीने 20 से अधिक मोबाइल की छिनतई होती है. ऐसी 90 प्रतिशत घटनाओं में मोबाइल नहीं मिलता है. प्रभात खबर के संवाददाता ने ऐसे चार पीड़ितों से बात की, जिसका दिनदहाड़े मोबाइल छीन लिया गया, लेकिन थाने में उन्हें गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा दी.

काजीपुर में छीन लिया मोबाइल, चार साल बीते नहीं मिला मोबाइल

कदमकुआं क्षेत्र में कोचिंग करने वाले छात्र शंभु कुमार का काजीपुर के पास दिनदहाड़े स्नैचरों ने मोबाइल छीन लिया. आनन-फानन में मोबाइल के कागजात लेकर वह थाने पहुंचे. जब छिनतई की घटना बतायी, तो पहले अच्छी तरह सुन ली. फिर कहा कि आप स्टूडेंट हैं. पढ़ाई करते हैं न. देखिए मोबाइल हमलोग खोज देंगे, लेकिन आपको बताते हैं कि आप छात्र हैं कोर्ट-कचहरी के चक्कर में मत फंसिए. एक फॉर्म देते हैं और उसे भर दीजिए. आपका मोबाइल का कोई गलत इस्तेमाल करेगा, तो आप नहीं फंसियेगा. इतना कहने के बाद उसे फॉर्म देकर डिटेल भरवा लिया और पर्चा थमा कर भेज दिया. चार साल बाद भी मोबाइल नहीं मिला.

पुलिस के सामने हुई छिनतई, लेकिन दर्ज हुई गुमशुदगी

रूपसपुर थाना क्षेत्र की बबिता रस्तोगी पीडब्लूडी में इंजीनियर है. उनका मोबाइल स्नैचरों ने तब छीन लिया, जब वह स्कूटी से ड्यूटी पर जा रही थी. स्कूटी रोक कर बात करने के दौरान मोबाइल की छिनतई हुई, पुलिस ने खदेड़ा भी, लेकिन स्नैचर फरार हो गये. जब वह थाना पहुंचीं, तो एफआइआर के बदले उन्हें गुमशुदगी का पर्चा थमा दिया गया. घटना पिछले साल की है. पीड़िता ने मोबाइल का लोकेशन तक खुद ही पता करवाया, लेकिन इसके बावजूद पुलिस मोबाइल खोजने के बजाय टहलाती रह गयी.

थाने में ही फोन देने के लिए स्नेचर मांगने लगा पैसा

हैरत तो तब हुई, जब शनिवार को दो छात्र कदमकुआं थाना पहुंचे और पुलिस से बताया कि मोबाइल किसी ने पॉकेट से निकाल लिया है. लेकिन पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया. बस यह कहा कि आपको जो फॉर्म दिया है, उसे भरो. हमलोग पता कर लेंगे. वह जैसे ही गुमशुदगी का पर्चा लेकर बाहर निकला और नंबर पर फोन किया, तो स्नैचर ने कहा कि मोबाइल मेरे पास है. पासवर्ड तोड़ दिया है और वाट्सएप भी चला रहे हैं. मोबाइल लेना है, तो पैसा दो और मोबाइल ले जाओ. जब इसकी जानकारी पुलिस को दी, तो फिर से उसे थाने से जाने को कह दिया गया.

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पांच थानों के पांच पॉश इलाकों में मोबाइल झपटमारी

  • 10 अप्रैल: आनंदपुरी में लाइब्रेरी से लौट रही छात्र का मोबाइल झपटकर शातिर हुए फरार

  • 13 अप्रैल: गांधी मैदान ट्रैफिक थाना के सामने बाइक सवार शातिर मोबाइल झपटकर फरार

  • 14 अप्रैल: राजीव नगर के रामनगरी मोड़ के पास बाइक सवार शातिर मोबाइल छीनकर फरार

  • 17 अप्रैल: कदमकुआं के पीरमुहानी में सिपाही के हाथ से मोबाइल छीनकर शातिर हो गये फरार

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